फिल्मस्टार संजय दत्त ने अपने परिवार की हिफाजत के लिये एके-56 राईफल ली थी।दत्त के अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस से रिश्ते तो थे लेकिन बमकांड की साजिश से उनका कोई लेना देना नहीं था। संजय दत्त को टाडा के तहत दोषी न ठहराये जाने के ये कारण गिनाये हैं टाडा जज पीडी कोदे ने अपने आदेश में। उन्हें अदालत ने सिर्फ आर्मस एक्ट के तहत 6 साल की सजा सुनाई है। इन कागज के पन्नों में संजय दत्त का भूतकाल भी है और उनका भविष्य भी कैद है। वैसै तो टाडा अदालत ने पूरे मुकदमें का आदेश 4340 पन्नो में लिखा है, लेकिन उनमें से ये 88 पन्ने संजय दत्त और उनके साथी आरोपियों से सरोकार रखते हैं। संजय दत्त पर से जब इस अदालत ने टाडा हटाया था तो सभी चौंके थे। इस आदेश में अदालत ने साफ किया कि दत्त पर से टाडा क्यो हटाया गया।
सीबीआई ने संजय दत्त को टाडा के तहत आरोपी बनाया था। सीबीआई का आरोप था कि दत्त भी 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बमकांड की साजिश का हिस्सा थे। उन्होने अंडरवर्लड डॉन अनीस इब्राहिम की ओर से भेजे गये हथियार अपने पास रखे। सीबीआई के मुताबिक ये हथियार उस जखीरे का हिस्सा थे जो दाऊद इब्राहिम ने बमकांड की साजिश को अंजाम देने के लिये भारत भिजवाये थे। पर सबूतो, इकबालिया बयानों और दूसरी गवाहियों का हवाला देकर टाडा जज पीडी कोदे ने साफ किया है कि दत्त पर टाडा लगाना गलत था और वे सिर्फ आर्मस एक्ट के तहत ही गुनहगार हैं।
दत्त परिवार को खतरा- संजय दत्त के अपने इकबालिया बयान से ये साफ होता है कि उन्होने एके-56 राईफल इसलिये रखी क्योंकि उन्हें अपने और अपने परिवार के लिये खतरा महसूस हो रहा था। वे खासकर अपने पिता सुनील दत्त की सुरक्षा के प्रति चिंतित थे, जिन्होने सांप्रदायिक दंगों के दौरान कुछ लोगों से दुश्मनी कर ली थी और जिनपर जोगेश्नरी में एक बार हमला भी हो चुका था। दत्त के इकबालिया बयान में कही गई बातों का दूसरे सबूत भी समर्थन करते हैं।
दत्त बमकांड की साजिश में नहीं- हालांकि ये बात खुद दत्त के अपने इकबालिया बयान में सामने आती है कि उनके और दाऊद इब्राहिम और अनीस के बीच किसी तरह के रिश्ते थे और दुबई में यलगार फिल्म की शूटिंग के दौरान वे उनसे मिले थे, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं सामने आया है कि इस रिश्ते का इस्तेमाल बमकांड की साजिश को अंजाम देने के लिये किया गया। ये बात भी काबिल ए गौर है कि 16 जनवरी 1993 को जब संजय दत्त ने हथियार लिये उस वक्त तक शेखाडी में न तो हथियार उतरे थे और न ही बमकांड की पूरी साजिश तैयार हुई थी। टाईगर मेमन ने 5 मार्च 1993 के बाद ही साजिश का खांका जाहिर किया था। इन सबूतों से ये साबित होता है कि संजय दत्त टाडा के तहत साजिश में शामिल होने के गुनहगार नहीं हैं।
हथियार अनीस से नहीं मिले- सबूतों से ये तो पता चलता है कि संजय दत्त और अंडरवर्लड डॉन अनीस इब्राहिम के बीच रिश्ते थे, लेकिन हथियार भी अनीस से मिले हैं ये बात साबित नहीं होती। अपने परिवार को खतरे का जिक्र दत्त ने फिल्म इडस्ट्री से जुडे 2 शख्स समीर हिंगोरा और हनीफ कडावाल से किया था। इन्ही के बार बार कहने पर दत्त हथियार लेने को राजी हुए। ये हथियार इन्ही ने अबू सलेम के साथ मिलकर दत्त तक पहुंचाये।
हथियार का इस्तेमाल आतंकवादी वारदात के लिये नहीं- सीबीआई का आरोप है कि संजय दत्त ने हथियार ऱखकर टाडा की धारा 5 का उल्लंघन किया है जो कि नोटिफाईड इलाके में हथियार रखने को गैरकानूनी जाहिर करती है, पर जज टाडा जज पी डी कोदे के मुताबिक ये धारा तब ही लागू होती है जब हथियार का इस्तेमाल आतंकवादी वारदात के लिये किया जाने की आशंका हो। संजय दत्त के मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि एके 56 राईफल उन्होने किसी आतंकी वारदात के लिये ऱखी थी। इसलिये टाडा की धारा 5 के तहत भी वे दोषी नहीं हैं।
एके 56 राईफल साजिश का हिस्सा नहीं- सीबीआई ये साबित करने में नाकामियाब रही है कि संजय दत्त ने जो एके-56 राईफल अपने पास ऱखी वो हथियारों के उस जखीरे का हिस्सा थी जो दाऊद इब्राहिम और उसके साथियों ने मुंबई बमकांड की साजिश के लिये भारत भिजवाये थे। इसलिये संजय दत्त टाडा की धारा 3 (3) के तहत भी दोषी नहीं हैं।
हथियार मांगे थे, एके-56 नहीं- संजय के अपने इकबालिया बयान से पता चलता है कि उन्होने परिवार की सुरक्षा के लिये हथियार लिया था, लेकिन ये हथियार एके-56 है ये उन्हे तब ही पता चला जब उन्हे बताया गया। उन्होने एके 56 राईफल की खासतौर पर मांग नहीं की थी। साथ ही उन्होने न तो हथगोले मांगे थे और न ही उन्हें अपने पास ऱखे, जैसा कि उनपर आरोप था।
तमाम सबूतों का ब्यौरा देते हुए अदालत ने दत्त को टाडा से तो बरी कर दिया लेकिन गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के आरोप में 6 साल जेल की सजा सुना दी। ये सजा वे काटेंगे या नहीं ये तय करेगा सुप्रीम कोर्ट जहां टाडा कोर्ट के इस आदेश को दत्त के वकील चुनौती देंगे।फिलहाल वे पूणे के यरवदा जेल में बंद हैं।
सीबीआई ने संजय दत्त को टाडा के तहत आरोपी बनाया था। सीबीआई का आरोप था कि दत्त भी 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बमकांड की साजिश का हिस्सा थे। उन्होने अंडरवर्लड डॉन अनीस इब्राहिम की ओर से भेजे गये हथियार अपने पास रखे। सीबीआई के मुताबिक ये हथियार उस जखीरे का हिस्सा थे जो दाऊद इब्राहिम ने बमकांड की साजिश को अंजाम देने के लिये भारत भिजवाये थे। पर सबूतो, इकबालिया बयानों और दूसरी गवाहियों का हवाला देकर टाडा जज पीडी कोदे ने साफ किया है कि दत्त पर टाडा लगाना गलत था और वे सिर्फ आर्मस एक्ट के तहत ही गुनहगार हैं।
दत्त परिवार को खतरा- संजय दत्त के अपने इकबालिया बयान से ये साफ होता है कि उन्होने एके-56 राईफल इसलिये रखी क्योंकि उन्हें अपने और अपने परिवार के लिये खतरा महसूस हो रहा था। वे खासकर अपने पिता सुनील दत्त की सुरक्षा के प्रति चिंतित थे, जिन्होने सांप्रदायिक दंगों के दौरान कुछ लोगों से दुश्मनी कर ली थी और जिनपर जोगेश्नरी में एक बार हमला भी हो चुका था। दत्त के इकबालिया बयान में कही गई बातों का दूसरे सबूत भी समर्थन करते हैं।
दत्त बमकांड की साजिश में नहीं- हालांकि ये बात खुद दत्त के अपने इकबालिया बयान में सामने आती है कि उनके और दाऊद इब्राहिम और अनीस के बीच किसी तरह के रिश्ते थे और दुबई में यलगार फिल्म की शूटिंग के दौरान वे उनसे मिले थे, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं सामने आया है कि इस रिश्ते का इस्तेमाल बमकांड की साजिश को अंजाम देने के लिये किया गया। ये बात भी काबिल ए गौर है कि 16 जनवरी 1993 को जब संजय दत्त ने हथियार लिये उस वक्त तक शेखाडी में न तो हथियार उतरे थे और न ही बमकांड की पूरी साजिश तैयार हुई थी। टाईगर मेमन ने 5 मार्च 1993 के बाद ही साजिश का खांका जाहिर किया था। इन सबूतों से ये साबित होता है कि संजय दत्त टाडा के तहत साजिश में शामिल होने के गुनहगार नहीं हैं।
हथियार अनीस से नहीं मिले- सबूतों से ये तो पता चलता है कि संजय दत्त और अंडरवर्लड डॉन अनीस इब्राहिम के बीच रिश्ते थे, लेकिन हथियार भी अनीस से मिले हैं ये बात साबित नहीं होती। अपने परिवार को खतरे का जिक्र दत्त ने फिल्म इडस्ट्री से जुडे 2 शख्स समीर हिंगोरा और हनीफ कडावाल से किया था। इन्ही के बार बार कहने पर दत्त हथियार लेने को राजी हुए। ये हथियार इन्ही ने अबू सलेम के साथ मिलकर दत्त तक पहुंचाये।
हथियार का इस्तेमाल आतंकवादी वारदात के लिये नहीं- सीबीआई का आरोप है कि संजय दत्त ने हथियार ऱखकर टाडा की धारा 5 का उल्लंघन किया है जो कि नोटिफाईड इलाके में हथियार रखने को गैरकानूनी जाहिर करती है, पर जज टाडा जज पी डी कोदे के मुताबिक ये धारा तब ही लागू होती है जब हथियार का इस्तेमाल आतंकवादी वारदात के लिये किया जाने की आशंका हो। संजय दत्त के मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि एके 56 राईफल उन्होने किसी आतंकी वारदात के लिये ऱखी थी। इसलिये टाडा की धारा 5 के तहत भी वे दोषी नहीं हैं।
एके 56 राईफल साजिश का हिस्सा नहीं- सीबीआई ये साबित करने में नाकामियाब रही है कि संजय दत्त ने जो एके-56 राईफल अपने पास ऱखी वो हथियारों के उस जखीरे का हिस्सा थी जो दाऊद इब्राहिम और उसके साथियों ने मुंबई बमकांड की साजिश के लिये भारत भिजवाये थे। इसलिये संजय दत्त टाडा की धारा 3 (3) के तहत भी दोषी नहीं हैं।
हथियार मांगे थे, एके-56 नहीं- संजय के अपने इकबालिया बयान से पता चलता है कि उन्होने परिवार की सुरक्षा के लिये हथियार लिया था, लेकिन ये हथियार एके-56 है ये उन्हे तब ही पता चला जब उन्हे बताया गया। उन्होने एके 56 राईफल की खासतौर पर मांग नहीं की थी। साथ ही उन्होने न तो हथगोले मांगे थे और न ही उन्हें अपने पास ऱखे, जैसा कि उनपर आरोप था।
तमाम सबूतों का ब्यौरा देते हुए अदालत ने दत्त को टाडा से तो बरी कर दिया लेकिन गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के आरोप में 6 साल जेल की सजा सुना दी। ये सजा वे काटेंगे या नहीं ये तय करेगा सुप्रीम कोर्ट जहां टाडा कोर्ट के इस आदेश को दत्त के वकील चुनौती देंगे।फिलहाल वे पूणे के यरवदा जेल में बंद हैं।
2 comments:
संजय दत्त के केस की काफी विस्तार से जानकारी दे दी आपने.आभार. अब देखिये सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती है.
हिंदुस्तान हो चाहें अमरीका, पैसे वाले और पहुँच वाले तो हमेशा बच ही जाते हैं। अब तो यह पता लगाना भी मुश्किल है कि सच है क्या।
आलोक
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