Wednesday 6 February, 2008

सु्प्रीम कोर्ट के जस्टिस को इतनी छुट्टियां क्यों ?

हजारों केस सुप्रीम कोर्ट में फैसले के इंतजार में पड़े हुये हैं। उनमें कई केस ऐसे हैं जिनमें से कुछ को सजा देनी है। कुछ निर्दोष को रिहा करना है। संवैधानिक मुद्दे से जुडे बातों पर सुनवाई करनी है। इसके अलावा और भी कई तरह के मामले है। कहा जाता है कि जजों की कमी की वजह से मामले को निपाटने में देरी हो रही है। इस तर्क को माना जा सकता है कि देश की जनसंख्या, अपराध की संख्या और पीआईएल की बढती संख्या को देखते हुये सही लगता है लेकिन इसके अलावा एक वजह यह भी लगता है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायधीश थोड़ा ज्यादा ही आराम फरमाते हैं। वे दिन में कितने घंटे काम करते हैं इसका लेखा जोख तो नहीं है लेकिन वे साल भर में आधे दिन भी काम नहीं करते हैं। साल के 365 दिनों में सिर्फ 173 दिन हीं काम होता है और बचे हुये 192 दिन छुट्टियां मनाते हैं। 192 दिनों में 104 दिन शनिवार और रविवार के साप्ताहिक छुट्टियां हैं। और दो दिन कम लगभग तीन महीने (88 दिन) समर वेकशन के नाम पर छुट्टियां गुजारते हैं। आखिर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस महोदय को इतनी छुट्टियां क्यों? मैं तो जस्टिस महोदय से यही आग्रह करुंगा कि जैसे कई मह्त्वपूर्ण मामले में सरकारी नजरअंदाज के बावजूद जस्टिस महोदय स्वंय पहल कर केस को आगे बढाते और दोषियों को सजा सुना कर शानदार काम करते हैं उसी प्रकार उन्हें स्वंय पहल करते हुये अपनी छुट्टियां कम करनी चाहिये।

पुलिस कमिश्नर की पुत्री की शादी में राज ठाकरे

नफरत की बीज बोने वाले मनसे नेता राज ठाकरे ने मुंबई पुलिस कमिश्नर धंनजय जाधव की बेटी की शादी में शामिल होकर यह जता दिया है कि मुंबई पुलिस उसके साथ है। और ये मैसेज उसके समर्थकों तक भी पहुंच चुकी है कि पुलिस से घबराने की जरुरत नहीं है। यदि उत्तर भारतीय को पिटते समय पकड़े भी जाओगे तो बाद में पुलिस तुम्हें छोड़ देगी या सिर्फ हल्का केस दर्ज करेगी ताकि जमानत हाथों हाथ हीं हो जाये। और पुलिस ऐसा करते भी आ रही है। अब तो राज के समर्थकों का मनोबल और भी बढ जायेगा।
मुंबई में शांति भंग करने, उत्तर भारतीयो के साथ मारपीट और राज्यों के बीच नफरत फैलाने वाले मनसे नेता राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज है लेकिन पुलिस उसके आव भगत में लगी रही। ये तो सभी लोगो ने देखा पुलिस कमिश्नर की पुत्री की शादी में। यहां राज ठाकरे के स्वागत में लगे पुलिस वाले लाइन से लगे थे। अब न्यायलय पर हीं भरोसा है कि राज के आंतक को कम करे। यदि ऐसा नहीं होता है तो लोगों का पुलिस और न्यायलय़ पर से विश्वास उठ जायेगा और लोग खुद ही अपनी सुरक्षा के लिये हथियार उठा लेगें। इस स्थिति में महाराष्ट्र पुलिस महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय को मारने पिटने में राज को मदद तो करेंगे लेकिन राज्य से बाहर महाराष्ट्र के रहने वाले निर्दोष लोग भी सुरक्षित नहीं रह पायेंगे। और वो दिन देश के लिये दुर्भाग्य का दिन होगा।

Tuesday 5 February, 2008

राज ठाकरे के गुंडो में पुलिस वाला भी शामिल करे तो क्या करें उत्तर भारतीय

राज ठाकरे के समर्थकों की गुंड़ा-गर्दी की खबर पुलिस को मिल चुकी थी लेकिन पुलिस आंख मुंदी रही। उत्तर भारत के गरीबों को मार पीटा जा रहा था दूर खड़ी पुलिस तमाशा देख रही थी। पुलिस वाले मस्ती में थे और मार खा रहे गरीबो पर हंस रहे थे। लेकिन उन्हें जैसे खबर मिली की उत्तर भारतीय हिंसात्मक कार्रवाई कर सकते हैं पुलिस सकते में आ गई। हर चौराहे पर पुलिस तैनात कर दिया गया। इस लिये नहीं कि वे दंगे को नियंत्रण करेंगे बल्कि राज ठाकरे के गुंडे को सुरक्षा देने की मकसद से पुलिस तैनात की गई थी। जब तक गुंडे गरीबों को पिटते रहे पुलिस वाले मस्ती करते रहे लेकिन जैसे ही गरीब आदमी(उत्तर भारतीय) अपने आपको बचाने के लिये हाथ पांव चलाना शुरु किया तो पुलिस वाले उस गरीब को जमकर पिटते। और राज के गुंडे को कहते कि तुम्हारा काम हो गया। फिर गुंडों की झुंड थोड़ी दूर पर जाकर यही कहानी दोहराते। असल में पुलिस राज के गुंडों को हर तरह से मदद कर रही थी। कुछ को उन्होने गिरफ्तर तो किया लेकिन उनके खिलाफ मामुली आरोप लगाये जिसे तुंरत ही जमानत मिल गई।

Monday 4 February, 2008

पुलिस भी पिटाई कर रही है उत्तर भारतीयों की

मुंबई में कानून को हाथ में ले रहे लोगों पर लगाम कसने की जिम्मेदारी मुंबई पुलिस की है, लेकिन आप तब क्या कहेंगे जब खुद पुलिस के ही लोग गुनहगारों का साथ देने लगें। रविवार को राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के लोग निहत्तथे, गरीब लोगों को घेर घेरकर मुंबई की सडकों पर पीट रहे थे। दादर में भी ऐसी ही दरिंदगी प्रदर्शित कर रहे एमएनएस कार्यकर्ताओं ने एक उत्तर भारतीय को पकड कर बेरहमी से पीटना शुरू किया। इसी दौरान पुलिस की एक वैन वहां पहुंची। इस आदमी ने ये सोचकर राहत की सांस ली कि अब वो बौखलाए लोगों के लात घूंसों से बच जायेगा, पर पुलिस ने उसे बचाने के बजाय खुद अपने कब्जे में लेकर उसे पीटना शुरू कर दिया और जबरन अपनी वैन में ठूंसने की कोशिश करने लगे। ये बेचारा चिल्लाते रहा ...साहब गरीब आदमी हूं..छोड दीजिये... पर पुलिस का दिल जरा भी नहीं पसीजा, वैन के अंदर भी पुलिस कर्मियों ने उसकी पिटाई की। इस आदमी को वैन में ठूंसने के बाद पुलिस अधिकारी ने एमएनएस क्रायकर्ताओं की भीड से जो कहा वो चौंकाने वाला था। स्पीकर पर मराठी में उस अधिकारी ने कहा- चलिये अब आप का काम हो गया। पुलिस की ओर से ही अपना काम होते देख एमएनएस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड गई और वे तालियां बजाने लगे।

Sunday 3 February, 2008

मुंबई में गैर मराठियों पर हमला - गाड़ियों से उतार कर पीटा, तनाव बरकरार

मुंबई में मराठी और गैरमराठी को लेकर तनाव जारी है। गैर मराठी खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश को लोगों पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे के समर्थकों ने हमला करना शुरु कर दिया है। कुछ लोगों कि गाड़ियां तोड़ दी गई है। कुछ लोगों के साथ मारपीट भी की गई है। झंडे पोस्टर फाड़ दिये गये हैं। लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के खिलाफ नारे बाजी हो रही है।

दूसरी ओर उत्तर भारत के लोग भी जवाबी तैयारी में जुट गये हैं। यदि समय रहते स्थिति को नहीं संभाला गया तो मुंबई में स्थिति विस्फोटक हो सकती है। ऐसी खबरे आ रहीं है कि और हमले की स्तिथि में उत्तर भारत से आये लोग भी मनसे समर्थकों पर हिंसात्मक हमले कर सकते हैं।
मुबंई के अलग अलग इलाकों में रैलियां जारी है। डोंबीवली इलाके में लालू बैठक कर रहें है तो राज ठाकरे के धमकी के बावजूद मुलायम सिंह ने मुंबई के दादर इलाके में रैली की। इसमें चद्रबाबू नायडू, औम प्रकाश चौटाला, फारुक अब्दुल्ला, अबु आजमी, जया बच्चन, जया प्रदा के अलावा अमर सिंह और कई नेता मौजूद थे। राज ठाकरे ने अमर सिंह को मुंबई में न घुसने की चेतावनी दी थी इसके बावजूद अमर सिंह रैली में पहुंचे।

रैली में आ रहे सपा समर्थको के साथ मनसे के कार्यकर्ताओ ने मार-पीट की। भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को भी जान से मारने की धमकी दी गई है। खबरें आ रही है कि मनसे के हमले को ध्यान में रखते हुये उत्तर भारत से आये लोगों ने भी मारपीट का जवाब देने की तैयारी शुरु कर दी है। इसलिये सरकार को जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने चाहिये अन्यथा स्थिति बद से बद्तर हो जायेगी क्योंकि राज ठाकरे के समर्थक लोकल हैं और बिहार- यूपी के लोग किसी भी हालात में पीछे हटने को तैयार नहीं है चाहे मरना पड़े या मारना पड़े।