डी कंपनी के कभी खासमखास रहे अबू सलेम की कभी भी हत्या हो सकती है। इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय आंतकी संगठन ने अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम को सुपारी दी है। इस बात का खुलासा किया है मुंबई पुलिस ने। मुंबई पुलिस ने बम्बई उच्च न्यायलय में एक हलफनामा दायर की है कि मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को कहीं भी बाहर पेशी के लिए न भेजा जाये। उसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की मांग की है पुलिस ने।
पुलिस ने ऐसा क्यों कहा है कि किसी आंतकी संगठन ने दाऊद कंपनी को सलेम की हत्या के लिए कान्ट्रेक्ट दिया है यह तो मुंबई पुलिस ही जानती है। क्योंकि सलेम को मारने के लिए दाऊद किसी से कान्ट्रेक्ट क्यों लेगा? यह अहम सवाल है। आखिर किस आंतकी संगठन से सलेम को खतरा है और क्यों? इसका उत्तर मुंबई पुलिस ही दे सकती है या खुद सलेम।
डी कंपनी सलेम को मारना चाहता तो उसी समय मार गिराता जब दाउद के इजाजत के बिना उसने गुलशन कुमार की हत्या करवा दी थी। बताया जाता है कि दाऊद के भाई अनिस ने गुलशन की हत्या और डी कंपनी को गुमराह करने के लिए सलेम को काफी डांटा था। कुछ लोगों का यह भी कहना था कि अनिस इब्राहीम और छोटा शकील डी कंपनी की इच्छा के खिलाफ काम करने के लिए सलेम को मौत की घाट उतार देना चाहता था लेकिन अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद ने ऐसा करने से मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि दुबई में किसी हत्याकांड को अंजाम दिया जाय। डॉन दाउद के मना करने के बाद सलेम को बख्श दिया गया, इस चेतावनी के साथ कि वह भारत और दुबई से दूर रहे। इसके बाद सलेम दुनिया के कई देशों में इधर से उधर आता जाता रहा और अपना दहशत का कारोबार चलाता रहा।
इस बीच सलेम ने इतनी ताकत बना ली थी कि वह दाउद को कई जगहों पर चुनौती देने लगा था। यहां तक कि मुंबई में भी। उत्तर प्रदेश और खासकर आजमगढ से आये शूटर सलेम के काफी निकट बताये गये। ये शूटर दाउद के लोगों को भी परेशान करने लगा था। एक दिन मालूम चला कि अबू सलेम पुर्तगाल में है। बस क्या था डी कंपनी के लोगों ने पुर्तगाल पुलिस को खबर कर दी। पुर्तगाल पुलिस ने सलेम को गिरफ्तार कर कुछ शर्त के साथ भारत को सौंप दिया। तब से वह जेल में हैं।
Wednesday 30 April, 2008
Friday 18 April, 2008
सेक्स वर्करो के बैंक में एक साल में 10 करोड़
कोलकाता में सेक्स वर्करों ने अपने लिए बनाए कॉपेरेटिव बैंक ‘उषा कॉपेरेटिव मल्टीपरपस सोसायटी लिमिटेड’ में पिछले एक साल में 10 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इस बैंक की सदस्य संख्या 8567 है। इस बैंक की सफतला को देख सेक्स वर्करों ने पश्चिम बंगाल के 6 और जिलों में ब्रांच खोलने का फैसला किया है। इस बैंक के मार्फत मुसिबत के दौर में अपने लिए पैसे निकाल सकती हैं। जरुरत पड़े तो लोन भी ले सकती हैं।
सेक्स वर्करों को सिर्फ समाज में हीं नही आर्थिक जगहों पर भी कठिनाइयां होने लगी थी। उन्हें अपने लिए बैंक में खाता खोलना मुश्किल हो रहा था। एक तो दूसरे शहर की लड़कियां थी उनके पास न तो राशन कार्ड होता था और न ही कोई अन्य प्रमाण। इसके अलाव सेक्स वर्करों के कारोबार के बारे मालूम चलते हीं ताने और ओछी नजरों का सामना हर जगह करना पड़ रहा था।
बहरहाल खबरे आ रही
है कि सेक्स वर्कर अपने पैसों से अपने और अपनों के लिए स्कूल और हॉस्पीटल बनाने पर भी विचार कर रहीं हैं ताकि उन्हें अपने कारोबार के अलाव जिन जगहों से अधिक सामना करना पड़ता है उसका इंतजाम वे खुद कर लें। ताकि उनके साथ रात में आंनद उठान वाले लोग दिन के उजाले में उन्हें अधिक बदनाम न कर सके।
एक सेक्स वर्कर ने सवाल उठाया है कि पेट के लिए वेश्यावृति में शामिल गरीब लड़कियों को हिकारत की नजर से देखा जाता है। आखिर क्यों? जबकि अधिक पैसे लेकर खुलेआम नंगापन डांस और बड़े बड़े होटल में पैस लेकर जो लोग वेश्यावृति का काम करते हैं उन्हें आधुनिक और सभ्य समाज का हिस्सा क्यों कहा जाता है?
सेक्स वर्करों को सिर्फ समाज में हीं नही आर्थिक जगहों पर भी कठिनाइयां होने लगी थी। उन्हें अपने लिए बैंक में खाता खोलना मुश्किल हो रहा था। एक तो दूसरे शहर की लड़कियां थी उनके पास न तो राशन कार्ड होता था और न ही कोई अन्य प्रमाण। इसके अलाव सेक्स वर्करों के कारोबार के बारे मालूम चलते हीं ताने और ओछी नजरों का सामना हर जगह करना पड़ रहा था।
बहरहाल खबरे आ रही
है कि सेक्स वर्कर अपने पैसों से अपने और अपनों के लिए स्कूल और हॉस्पीटल बनाने पर भी विचार कर रहीं हैं ताकि उन्हें अपने कारोबार के अलाव जिन जगहों से अधिक सामना करना पड़ता है उसका इंतजाम वे खुद कर लें। ताकि उनके साथ रात में आंनद उठान वाले लोग दिन के उजाले में उन्हें अधिक बदनाम न कर सके।
एक सेक्स वर्कर ने सवाल उठाया है कि पेट के लिए वेश्यावृति में शामिल गरीब लड़कियों को हिकारत की नजर से देखा जाता है। आखिर क्यों? जबकि अधिक पैसे लेकर खुलेआम नंगापन डांस और बड़े बड़े होटल में पैस लेकर जो लोग वेश्यावृति का काम करते हैं उन्हें आधुनिक और सभ्य समाज का हिस्सा क्यों कहा जाता है?
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