Wednesday 30 July, 2008

बम धमाके को लेकर राजनीति - हाई अलर्ट के बावजूद सूरत में बम प्लांट कैसे हुए?

अहमादबाद धमाके में 49 लोगों की मौत हो गई। भाजपा नेता सुषमा स्वराज कहती है कि इस धामके के पीछे यूपीए का हाथ हो सकता हैं। लोकसभा में विश्वासमत के दौरान नोटों का जो खेल हुआ उसे दबाने के लिये हीं ऐसा किया गया है। श्रीमती स्वराज एक जानी मानी नेता हैं। केन्द्र में मंत्री रह चुकी है वो इस प्रकार का बयान कैसे दे सकती है। भाजपा के हीं कुछ नेताओं ने सुषमा के बयान को बचकाना बताया।

सुषमा जी तो क्या यह मान लिया जाय कि कारगिल युद्ध आपकी योजना का ही एक हिस्सा था केन्द्र में अगली सरकार बनाने के लिये ? क्या यह मान लिया जाय कि संसद पर हमला एनडीए सरकार की योजना से हुई ? क्या यह मान लिया जाय कि लाल किला पर हमला भी एनडीए की योजना से हुआ ? क्या यह मान लिया जाये कि विमान से आंतकवादियों को अफगानिस्तान पहुंचाने या जेल से छुडाने की योजना एनडीए की थी?
ये सारे देश के ऐतिहासिक आंतकवादी घटनायें आपके ही शासन काल में हुए।

जो समास्याएं हैं उसे समस्याएं ही रहने दें। आंतकवादी घटनाओं का जो विस्तार हुआ है उसमें आप जैसे और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे नेताओं का हाथ है। गुजरात में लगातार तीन महीने तक दंगे होते रहे और सरकार चुप रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी भी चुप रहे। इस दंगे में दर्जनों लोगों की हत्या हुई सरकारी संरक्षण में। महिलाओं की इज्जत तार तार कर दी गई। और ऐसे हीं मौके की तलाश में रहती है पाकिस्तान की खुफिया एंजेसी आईएसआई को।

आईएसआई पहले से हीं भारत में तबाही मचाने के लिये बम विस्फोट कराता रहा है। उसे ऐसे लोगों की तलाश थी जो आम भारतीयों के बीच का हो। और यह मौका दे दिया अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस, मुंबई और गुजरात के दंगों ने। बाबरी मस्जिद विघ्वंस, मुंबई दंगे और मुंबई विस्फोट 1993 के बाद लोग सब कुछ भूलने लगे थे लेकिन गुजरात दंगे ने सब कुछ ताजा कर दिया। आईएसआई ऐसे लोगों को ढूढने लगी जिसका परिवार दंगे में मारा गया हो और सब कुछ लूट गया हो। इस काम में आईएसआई सफल दिख रहा है। बम विस्फोट हो रहे हैं। दर्जनों लोग की हत्या हो रही है। लेकिन कोई पकड़ा नहीं जा रहा है।

सूरत में कमाल हो गया। 22 बम बरामद हुए। पुलिस ने सफलता पूर्वक निष्क्रिय कर दिया। कमाल हो गया। बम दुकान के छत पर मिल रहे हैं। बम पुलिस चौकी के सामने, पेड़ो पर लटके मिल रहे हैं। आश्चर्य इस बात की है कि आंतकवादियों ने इतने खतरे मोल कर बम लगाये और विस्फोट नहीं किये। आंतकवादियों को क्या फर्क पड़ता है कि पचास मरे या सौ। सूरत में मिल रहे बम एक साथ कई सवाल खड़ा करता है।

Sunday 27 July, 2008

बम विस्फोट के पीछे का मकसद

ऐसा पहली बार हुआ कि लगातार दो दिन और दो शहरों में क्रमश: बैंगलोर और अहमदाबाद में बलास्ट हुए। और आंतकवादी संगठन ने ई-मेल के मार्फत मुंबई में भी विस्फोट करने की धमकी दी। आखिर इन हमलों का मकसद क्या है? कुछ भी समझ नहीं आ रहा। लेकिन जो चर्चाएं हो रही हैं उनपर ध्यान दें तो कई बातें सामने आती हैं –

1. आंतकवादी संगठन जैसे पहले देश को तबाह करने की कोशिश में विस्फोट करता आया है क्या ये धमाके उसी का हिस्सा है? 2. अमेरिकी विरोधी आंतकवादी संगठन जो यह नहीं चाहता था कि भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार हो। लेकिन करार की ओर बढते हुए भारत के कदम और विश्वासमत हासिल होने के दो ही दिन बाद विस्फोट का सिलसिला शुरू हो गया। क्या ये विस्फोट होने वाले परमाणु करार को लेकर कराये जा रहे है? 3. अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के परिवार के खिलाफ लगातार पुलिस के बढते शिकंजे को प्रभावित करने की मकसद से कहीं ये विस्फोट तो नहीं करवाये जा रहें हों ? 4. कुछ लोगों का कहना है कि चुनावी माहौल को अभी से सांप्रदायिकता की आग में झोकने की कोशिश तो नहीं हो रही है? 5.राजस्थान, कर्नाटक और अब अहमदाबाद इन सभी राज्यों में विस्फोट हुए आखिर भाजपा शासित राज्यों में हीं विस्फोट क्यों हो रहे हैं?

बहरहाल जितनी मुंह उतनी बात। लेकिन एक बात सत्य है कि विस्फोट हो रहें हैं। बेगुनाह लोगों की मौत रही है। अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार 17 बम धमाकों में 45 लोगों की मौत हो गई। सौ अधिक लोग घायल हैं। मृतकों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। ये 17 धमाके सिर्फ 90 मिनट के अंदर ही हो गये। आज भी अहमदाबाद के हठकेश्वर इलाके से टाइमर लगा बम बरामद हुआ जिसे निष्क्रिय कर दिया गया। शुक्रवार को बैंगलोर में और शनिवार को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाके ने हिला कर रख दिया। धमाके में बारूदी सामग्री के अलावा साइकिलों का इस्तेमाल किया गया।

गुजरात में सांप्रदायिक दंगे के इतिहास को देखते हुए वहां ऐहतियात के तौर पर सेना को बुला लिया गया है। सेना ने आज फ्लैग मार्च जारी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नये सिरे से सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने और भविष्य में होने वाले इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने की मकसद से उच्च स्तरीय बैठके शुरू कर दी है। देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

अगला निशाना – अगला निशाना मध्य प्रदेश और मुंबई हो सकता है। स्टार न्यूज को मिले एक ई-मेल के हवाले से कहा गया है कि मुंबई में भी जल्द हीं बम विस्फोट किये जायेंगे। मुंबई को आतंकवादियों का अगला निशाना बनाए जाने वाले ई-मेल मिलने के बाद शहर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मुंबई और मध्य प्रदेश में भी हाई अलर्ट जारी है।

आतंकवादी संगठन बंबई स्टॉक एक्सचेंज, सिद्धविनायक मंदिर और मंत्रालय को अपना निशाना बना सकते हैं। इसी बीच ऐंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने नवी मुंबई के सोनापाड़ा क्षेत्र से एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि अहमदाबाद में शनिवार को विस्फोटों से पहले इसी व्यक्ति के घर से यह ई-मेल भेजा गया था। जो जानकारियां सामने आ रही हैं उसके अनुसार पूछताछ के दौरान उक्त व्यक्ति ने सुरक्षा व जांच एजेंसियों को बताया कि उसे यह ई-मेल कहीं और से मिला था और उसने मीडिया को भेज दिया ताकि सुरक्षा एजेंसियां सचेत हो जाएं।

बहरहाल, आंतकवादी संगठन चाहे कितनी भी कोशिश कर ले । देश की एकता और अंखडता को तोड़ना उसके वश में नहीं है।

Friday 11 July, 2008

बेचारी आरूषि

बेचारी आरूषि। अब इस दुनियां में नहीं है। इसकी हत्या कर दी गई बेहरमी से। इसके बाद भी इसकी हत्या को लेकर मजाक बना दिया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस कहती है कि आरूषि की हत्या में इसके पिता डा़ राजेश तलवार की भूमिका हो सकती है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में इस मामले को सौंप दिया गया सीबीआई को। सीबीआई ने इस मामले में डा. राजेश तलवार को निर्दोष करार देते हुए उसके नौकर हेमराज के दोस्तों राजकुमार, कृष्णा और विजय मंडल को आरोपी बनाया है। इनलोगों पर ये भी आरोप है कि इनलोगों ने आरूषि के साथ साथ अपने दोस्त हेमराज की भी हत्या कर दी। पर कृष्णा की भांजी कह रही हैं कि सीबीआई असली आरोपी को बचा रही है।

आरूषि के पिता के खिलाफ कोई सबूत नहीं - सीबीआई के ज्वाइंट निदेशक अरूण कुमार ने साफ कर दिया है कि आरुषि की हत्या में उसके पिता डॉ. राजेश तलवार का कोई हाथ नहीं है। तलवार दंपती के साइको एनैलिसिस और पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद यह निर्णय लिया गया। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। सीबीआई के अनुसार हत्या को लेकर जो मामले सामने आये हैं वे निम्नलिखित प्रकार से है। आरूषि की हत्या को लेकर ऊहापोह में रहे सीबीआई ने अपनी जांच की बुनियाद बनाई आरूषि के घर को। उन्होंने परीक्षण किया कि एसी चलने के दौरान यदि आरुषि के कमरे से चिल्लाने की आवाज आये तो उसके पिता डा. राजेश तलवार की कमरे तक आवाज जाती है या नहीं। परीक्षण के दौरान पाया गया कि नहीं।

सीबीआई की नई थ्योरी - शक की सुई कृष्णा की ओर गहरा गई। जिस रात कत्ल हुई थी उसके अगले दिन सुबह डा. राजेश तलवार की पत्नी डा. नूपुर तलवार ने घर के कामकाज करने वाली के आने पर हेमराज के मोबाइल पर फोन किया। फोन उठाने के बाद काट दिया गया। कॉल को ट्रैस करने पर मालूम चला कि फोन आसपास के इलाके में ही किसी के पास है। यानी फोन ऐसे व्यक्ति के पास है जो आरूषि के घर बेधड़क आता जाता हो। और जहां तक हेमराज और आरुषि को एक साथ कमरे में देखने वगैरह की कहानी कृष्णा की बनाई हुई थी।और उसने ही जांचकर्ताओं को गलत दिशा में भेजने की कोशिश की। इसलिए शक की सुई कृष्णा की ओर घूमी। नारको एनैलिसिस टेस्ट में कृष्णा ने हत्या की बात कबूली और उसमें दो और लोगों-राजकुमार और विजय मंडल- के नाम सामने आए। हत्या की रात क्या हुआ (सीबीआई) : राजकुमार ने बताया कि हेमराज के बुलावे पर मैं उसके घर पहुंचा। वहीं पर कृष्णा पहले से था। शराब पिये हुए था। मेरे बाद विजय मंडल पहुंचा। शराब का दौर चला। इसी दौरान आरूषि के बारे में बातचीत हुई। नशे में वे आरुषि के कमरे में पहुंच गए और उसके साथ गलत हरकत करने की कोशिश की। आरुषि के विरोध करने पर उन्होंने उसके माथे पर भारी चीज से हमला किया जिससे वह बेहोश हो गई। इसके बाद ये सभी छत पर आ गए जहां उनका हेमराज से झग़ड़ा हुआ। यह झगड़ा बढ़ गया और इन तीनों ने हेमराज की हत्या कर दी। इसके बाद तीनों वापस आरुषि के कमरे में गए और उसका गला रेत दिया। दरअसल, हेमराज का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव और आरुषि का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था। छत पर आरुषि के रक्त के अंश कहीं नहीं मिले जबकि हेमराज के रक्त के अंश आरुषि के कमरे में भी पाए गए।
सीबीआई के बातों में क्या दम है ? सीबीआई चाहे जितना भी दावा करे लेकिन उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। न्यायलय में यह केस कितना टिक पायेगा कहा नहीं जा सकता। कृष्णा की भांजी दावे के साथ कह रही है कि कृष्णा कत्ल वाली रात घर पर था।

Thursday 10 July, 2008

न्यायलय को जातीय राजनीति में न घसीटें

जातीय आरोप-प्रत्यारोप से न्यायलय भी नहीं बच पाई । राजनीति और प्रशासनिक विभाग में जातीय आरोप-प्रत्यारोप का मामला बहुत सामान्य है। लेकिन न्यायलय जिसके प्रति देश की जनता की आस्था बनी हुई है यदि उसे चोट पहुंचता है तो यह देश के लिये अच्छा नहीं होगा।

इसलिये सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के अधिवक्ता रोहिन एन पांडया और पंकज कोटेचा के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। वकील पांडया और वकील कोटेचा ने एक जनहित याचिका दायर कर बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ आरोप लगाय है कि मुख्य न्यायधीश मारवाड़ी हैं इसलिये वे मुंबई और अन्य स्थानों पर मारवाड़ी समाज से जुड़े न्यायधीशों की नियुक्ति कर रहे हैं। और किसी खास समुदाय के तरफदारी के पीछे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार का दिमाग है जो कि मारवाड़ी है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जे बालाकृष्ण की अध्यक्षता वाली पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि अधिवक्ता के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की जानी चाहिये। सालिसिटर जनरल ने कहा कि यह जनहित याचिक कंलकपूर्ण है। यह वक्त है न्याय पालिका को बचाने का।

Monday 7 July, 2008

भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला 41 की मौत

आंतकवादियों की गतिविधियां लगातार बढती जा रही है। कल पाकिस्तान के लाल मस्जिद में हुए आंतकवादी हमले के बाद आज अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमले में भारतीय सेना के एक ब्रिगेडियर आर डी मेहता समेत 41 लोगों की मौत हो गई। और 50 से अधिक लोग घायल हुए।

आंतकवादियों के आत्मघाती दस्ते ने विस्फोटकों से भरी हुई कार को भारतीय दूतावास के गेट से सीधे टकरा दिया। यह घटना उस समय घटी जब लोग दूतावास में वीज़ा आवेदन देने के लिए लाइन में लगे थे। मरने वालों की संख्यां में बढोतरी भी हो सकती है। इसमें ब्रिगेडियर मेहता के अलावा और भारतीय थे या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

भारत सरकार ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि इस प्रकार के हमले से आंतकी भारत को अपनी जिम्मेवारी निभाने से नहीं रोक पायेगें। उल्लेखनीय है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक और मधुर रिश्ते रहे हैं।

Sunday 6 July, 2008

लाल मस्जिद के पास धमाका 10 की मौत

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद के पास एक पुलिस चौकी में हुए धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें नौ पुलिस वाले शामिल हैं। कहा जाता है कि लाल मस्जिद में पिछले साल सेना की कार्रवाई का एक साल पूरा होने के मौके पर धमाका किया गया। इस घटना की सभी लोगों ने निंदा की।
भारत को तबाह करने की मकसद से तैयार किये गये आंतकवादियों से आज पाकिस्तान खुद परेशान है। कहा जा रहा है कि भारत को तबाह करने के लिये पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर आंतकवादी तैयार किये। उनलोगों को पाक सरकार ने सेना के कैंप में ट्रैनिंग दिलवाई। भारत में आज भी जगह जगह विस्फोट हो रहे हैं। लेकिन इससे पाकिस्तान खुद भी नहीं बच पाया है। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर मारी गई। आज फिर विस्फोट हो गया।

पाकिस्तान ने जो भारत के लिये जहर का बीज बोया है उससे निपटने के लिये भारत ने तैयारी कर रखी है। हां यह जरूर है कि कहीं कहीं विस्फोट हो जाता है लेकिन पाकिस्तान का क्या होगा? कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर आंतकवादियों का कब्जा हो सकता है। इसके अलावा पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्सें में खुद पाकिस्तान सरकार की पकड़ नहीं हैं वहां आंतकवादियों ने कब्जा कर रखा है। वहां पर उन्हीं का कानून चलता है। और इसी नाम पर अफगानिस्तान में जमे अमेरिकी सैनिक पाक सीमा में घुस कर हमला करता रहता है। एक देश के लिये इससे अधिक अपमान की बात और क्या हो सकती है। अभी भी समय है यदि पाकिस्तान नहीं संभला तो वो दिन दूर नहीं जब आंतकवादी खुद पाकिस्तान को निगल जायेंगे और वहां अमेरिकी हुकूमत का शासन होगा।