Wednesday, 24 October 2007

दाऊद ही मुख्य आरोपी है मुंबई विस्फोट 93 का - टाडा कोर्ट

जीतेंद्र दीक्षित -
मुंबई बमकांड का मुकदमा चलाने वाली विशेष टाडा अदालत ने अपने फैसले में अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम को प्रमुख आरोपी पाया है। इस फैसले में कई ऐसे सबूतों और गवाहों का ब्यौरा है, जो ये खुलासा करते हैं कि दाऊद ने किस तरह से उसी मुंबई शहर को खून से सराबोर कर दिया, जहां वो पला बढा था। भारत में हुए सबसे बडे आतंकवादी हमले का जिम्मेदार पाये जाने के बावजूद दाऊद अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर है।
दाऊद इब्राहिम कासकर का भारत का एक कुख्यात गुनहगार तो है ही, उसका नाम आज दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल है। उसपर ये ठप्पा लगा है 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में उसकी भूमिका की वजह से। उस काली तारीख की साजिश में दाऊद का कितना हाथ था, ये दर्ज है इस विशेष टाडा अदालत के इस आदेश में, जिसकी कॉपियां अब आरोपियों को सौंपीं जा रहीं हैं
फैसले के पन्नों के पलटने के साथ ही दाऊद की काली करतूतों का ब्यौरा भी शुरू हो जाता है। टाडा अदालत ने अपने फैसले में पाया कि दाऊद इब्राहिम ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर भारत में आतंकवादी वारदात की आपराधिक साजिश रची, ताकि लोगों में दहशत पैदा हो, उनमे अलगाव हो, सांप्रदायिकता पनपने से शांति भंग हो और सरकारी तंत्र चरमरा जाये। ये साजिश दिसंबर 1992 से लेकर अप्रैल 1993 के बीच रची और अमल में लाई गई। साजिश को अंजाम देने के लिये 12 मार्च 1993 के दिन 13 बम विस्फोट कराये गये, जिनमें 257 लोगों की मौत हो गई, 713 लोग घायल हो गये और 27 करोड रूपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। दाऊद की पूरी साजिश में भूमिका का खुलासा होता है 19 जनवरी 1993 को दुबई में हुई एक मीटिंग से। ये मीटिंग हुई थी दाऊद इब्राहिम, टाईगर मेमन और दाऊद फणसे उर्फ टकले के बीच। दाऊद टकला, टाईगर मेमन के लिये चांदी स्मगल करवाने का काम देखता था। पर चूंकि इस बार स्मगलिंग चांदी के बजाय बारूद और हथियारों की करवानी थी इसलिये टाईगर ने टकले को दाऊद इब्राहिम से मिलवाना जरूरी समझा।)
-19 जनवरी की रात दाऊद टकला एयर इंडिया के विमान से दुबई पहुंचा। उसके वीसा और टिकट का इंतजाम टाईगर मेमन ने कराया था। एयरपोर्ट पर टाईगर ही उसे रिसीव करने आया। टाईगर उसे दुबई के होटल दिल्ली दरबार ले गया और एक कमरे में उसे ठहराया।
- इसके तीसरे दिन टाईगर शाम को 7-7.30 के करीब होटल आया और दाऊद टकला को अपने साथ चलने के लिये कहा। वो उसे एक टैक्सी में दाऊद इब्राहिम के बंगले पर ले गया। टकले को बाहरी कमरे में रूकने को कहकर वो बंगले के अंदरूनी कमरे में चला गया।
- कुछ देर बाद टाईगर, दाऊद इब्राहिम के साथ टकला के पास आया। चूंकि टकले ने अखबारों में दाऊद इब्राहिम की तस्वीरें देखीं थीं इसलिये वो तुरंत उसे पहचान गया।
- इस मीटिंग में तीनों के बीच कुछ ये बातचीत हुई-
दाऊद इब्राहिम (टकले से)- तुम किसके लिये काम करते हो।
टकला- जी ..टाईगर भाई के लिये।
दाऊद इब्राहिम- क्या तुम मेरे लिये काम करोगे
टकला- काम चांदी के कितने इंगोट्स (बिस्किट) का हे
दाऊद इब्राहिम- चांदी का काम अभी बंद कर दिया है। केमिकल, बारूद और हथियार भेजना है।
(दांत पीसते हुए) अपनी बाबरी मसजिद शहीद हो गई है। उसका बदला लेना है।
(टाईगर से पूछते हुए) काम में कितना खर्चा आयेगा।
टाईगर मेमन- 9 से 10 पेटी (यानी 9-10 लाख रूपये)
दाऊद इब्राहिम (टकले से)- काम कराने के लिये तुम्हारे पास क्या इंतजाम है
टकला- जी भाई मच्छीमार ट्रालरों में अपने लोग हैं।
दाऊद इब्राहिम- ठीक है। मैं एक स्पीड बोट भेजूगा। तुम ट्रालरों का इंतजाम कर देना। खर्चे की बात टाईगर से कर लो।

इस बातचीत के बाद तीनों ने चाय पी। दाऊद अपनी मर्सीडीज कार से टाईगर के साथ टकले को दिल्ली दरबार होटल छोडने आया। अगले दिन टाईगर, टकले को दुबई हवाई अड्डे पर छोडने आया और 50 दिरहम उसके हाथ में थमाते हुए कहा कि दाऊद भाई की कही बातों का ध्यान रखे। टाडा अदालत में ये बात साबित हो गई कि टकले ने दाऊद इब्राहिम के निर्देशों पर अमल किया और मुंबई के करीब शेखडी के समुद्र तट पर आरडीएक्स और हथियारों को उतरवाने में मदद की। दाऊद टकले की बढी हुई उम्र को देखते हुए अदालत ने उसे फांसीं के बजाय उम्रकैद की सजा दी।ये तो थी मुंबई बमकांड में दाऊद की भूमिका की एक मिसाल। मुकदमें के दौरान अदालत के सामने कई और भी सबूत सामने आये, जो इस साजिश में दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों की भूमिका पर से पर्दा उठाते हैं। बमकांड के 2 आरोपियों सलीम कुत्ता और इजाज पठान के इकबालिया बयानों को अदालत ने सच माना है।इन दोनो आरोपियों ने दुबई में साजिश के लिये होनेवाली मीटिंगों का ब्यौरा दिया है।)

सलीम मीरां शेख उर्फ सलीम कुत्ता के बयान के मुताबिक -
मैं जब जनवरी 1993 के आखिरी हफ्ते में दुबई में था तो एक दिन मुस्तफा मजनू मुझे जुमैरा इलाके में दाऊद इब्राहिम के घर व्हाईट हाउस ले गया। वहां मैने दाऊद, छोटा शकील, सलीम तलवार, फिरोज, इजाज पठान, हाजी अहमद को आपस में बात करते देखा। वे लोग भारत और हिंदूओं के खिलाफ, बाबरी मसजिद और मुंबई दंगों के बारे में बात कर रहे थे। मैं वहां करीब घंटे भर तक था।
दाऊद ने वहां भाषण दिया और कहा कि मुसलिमों ने हिंदुओं के हाथो काफी जुल्म सहे हैं क्योंकि दंगों में हिंदुओं के साथ पुलिस मिली हुई थी। मुसलिम महिलाओं को बेइज्जत किया गया। हमें बदला लेने के लिये तैयार रहना चाहिये। हिंदुओं को सबक सिखाने के लिये वो सभी को हथियारों की ट्रेनिग लेने के लिये पाकिस्तान भेजेगा ताकि हिंदुओं, बडे नेताओं और आला पुलिस अफसरों की हत्या की जा सके।
इसके बाद दाऊद ने मुस्तफा मजनू को सभी का पासपोर्ट लेने के लिये कहा ताकि उन्हें पाकिस्तान भेजने का इंतजाम किया जा सके, लेकिन मैने, फिरोज और कय्यूम ने ट्रेनिंग पर जाने से मना कर दिया।
दाऊद के साथ हुई इस मीटिंग के 2-3 दिन बाद आरिफ लंबू, सय्यद कुरेशी, यूसूफ बाटला, अबू बकर और शोएब बाबा ट्रेनिंग लेने के लिये पाकिस्तान रवाना हो गये। मैने उन्हे विदा करने दुबई एयरपोर्ट गया था।

इस मीटिंग से पहले दुबई में एक और मीटिंग हुई थी, जिसका ब्यौरा इजाज पठान नाम के आरोपी ने अपने इकबालिया बयान में दिया। पठान के मुताबिक – मुंबई में दंगों के बाद दुबई में मुस्तफा दोसा के घर एक मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, मुस्तफा मजनू, यासीन कमजा, हैदर, सलीम तलवार, टाइगर मेमन और याकूब मौजूद थे। मीटिंग में मुंबई दंगों पर चर्चो हो रही थी। ये तय हुआ कि दंगों का बदला लेने के लिये कुछ किया जायेगा । आगे की कार्रवाई अगली मीटिंग में तय होगी, जिसका वक्त सभी को फोन पर इत्तला किया जायेगा। टाईगर मेमन भारत में हथियार भेजने की बात कर रहा था।
इन बयानो को टाडा अदालत ने सबूत माना है और अगर कल को दाऊद की गिरफ्त में आने के बाद उसपर मुकदमा चलता है तो इनका इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा सकता है। अदालत ने पाया कि ये बयान दूसरे गवाहों के बयान और सबूतों से मेल खाते हैं।
इन सबूतों से मुंबई बमकांड में पाकिस्तान की भूमिका भी सामने आती है। उसी पाकिस्तान की जिसने दाऊद इब्राहिम का इस्तेमाल कर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमला किया और जिसपर आज भी दुनिया के एक बेहद खतरनाक इंसान को शह देने का आरोप है।

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