पटना के सत्र न्यायालय ने गोपालगंज के ज़िलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन, अखलाख अहमद और अरुण कुमार को फाँसी की सज़ा सुनाई है. इनके अलावा अदालत ने विधायक मुन्ना शुक्ला, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, हरेंद्र कुमार और शशि शेखर को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है। इन लोगों पर भीड़ को उकसाने का आरोप है। भीड़ ने जिलाधिकारी कृष्णैया की पीट पीट कर हत्या कर दी थी। जब इन नेताओं को सजा सुनाई जा रही थी उस समय अदालत के बाहर इनके समर्थकों का भारी जमावडा था। हो हंगामे की आंशका थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अदालत के फैसले पर कुछ लोगों का कहना था कि इतनी कड़ी सजा नहीं दी जानी चाहिये थी। कुछ लोगों का कहना था कि अदालत ने एकदम सही फैसला सुनाया है। एक ने कहा कि आप इसी से अनुमान लगा सकते है कि जब एक डीएम की हत्या हो सकती है तो आमलोगों की गिनती ही नहीं है। अदालत के बाहर मौजूद लोगों में से एक व्यवसायी ने कहा कि पटना के सत्र न्यायाधीश रामश्रेष्ठ राय ने सटीक कदम उठाया। यह एक ऐसा मोड़ है जहां से अपऱाध कमी आयेगी। लोग अपराध करने से पहले 10 बार सोचेगें। इसका सबसे बडा उदाहरण है फैसले सुनाने के बाद दोषी करार दिये गये लोगों के समर्थकों का शांत रहना। ये वही लोग है जो एस पी जैसे अधिकारियों पर भी सरे आम हाथ छोड़ दिया करते है। बहरहाल,विधायक मुन्ना शुक्ला के वकील सुनील कुमार ने कहा है कि जल्दी ही इस फ़ैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी। जिलाधिकारी कृष्णैया की हत्या 4 दिसंबर 1994 को मुज़फ्फ़रपुर ज़िले के खबरा गाँव के पास उग्र भीड़ ने कर दी थी.ये लोग बाहुबली और स्थानीय नेता छोटन शुक्ला की हत्या के विरोध में जुलूस निकाल रहे थे.मुन्ना शुक्ला छोटन शुक्ला का भाई है।
Wednesday, 3 October 2007
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