Friday, 10 August 2007

आईएसआई और दाऊद

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कब्जे़ में है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम। पुलिस और भारतीय जांच एंजेसी मानती है कि दाऊद पाकिस्तान में ही है और वहां उसे आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है। सी बी आई के अनुसार कराची स्थित दाऊद का पत्ता है ह्वाइट हाऊस, सऊदी मस्जिद के निकट, क्लिफटन, कराची, पाकिस्तान। यह बेहद ही पॉश इलाका है।
दाऊद इब्राहीम का मुख्य अड्डा पाकिस्तान के कराची में है लेकिन वह कब कहां रहता है और कहां आता जाता है इसकी जानकारी सिर्फ आई एस आई और डी कंपनी के कुछ खास लोगों को हीं होती है। क्योंकि दाऊद की लडाई सिर्फ गैंगवार तक सीमित नहीं रही बल्कि यह मामला गैंगवार से ऊपर ऊठकर खुफिया विभागों तक पहुंच गई। दाऊद की तलाश में भारत की खुफिया एजेंसियों के अलावा अमेरिका की खुफिया एजेंसी सी आई ए और ब्रिटेन की सुरक्षा सेवा (एमआई 5) भी जुड़ी हुई है।
इस बात का खुलासा समय समय पर होता रहा लेकिन कुछ अधिक खुलासा 23 जुलाई 2005 के आसपास हुआ.। यह दिन खास है क्योंकि इस दिन दाऊद इब्राहीम की बेटी माहरुख और पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट खिलाडी़ मियांदाद के बेटे जुनैद के बीच शादी हुई। यह शादी दुबई स्थित एक फाइव स्टार हॉटल में हुई। इस शादी को लेकर दुनियां भर के तमाम सुरक्षा एजेंसियां एलर्ट थीं क्योंकि उन्हें तलाश थी डॉन दाऊद की लेकिन दाऊद उन्हें नहीं मिला।
आपराधिक गतिविधियों को लेकर भारत को दाऊद की तलाश है लेकिन अमेरिका दाऊद को आंतकवादी मानता है इसलिये वो भी दाऊद की तलाश में है। अमेरिका ने 2003 मे उसका नाम ग्लोबल आंतकवादी की सूची में डाल दिया। कहा जा रहा है कि दाऊद के संबंध अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन तक है। जहां एक ओर दुनियां की तमाम सुरक्षा एजेंसियां दाऊद की तलाश में है वहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई एस आई दाऊद को सुरक्षा प्रदान कर रही है। आखिर क्यों?
जानकार बताते हैं कि दरअसल पाकिस्तान को ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो भारत के खिलाफ हर स्तर पर उसका साथ दे पर उसे कोई ऐसा व्यक्ति मिल नहीं रहा था। यहां तक कि 1985 में मुंबई छोड़ दुबई जा पहुंचे दाऊद पर आई एस आई की नजर लगातार बनी रही लेकिन आई एस आई दाऊद को अपने जाल में नहीं फंसा सकी लेकिन उसे मौका मिल गया 1992-93 में। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद देश में सांम्प्रदायिक उन्माद का जो माहौल बना और दंगे हुये उसका फायदा उठाया पाकिस्तान ने। वह दंगे की आग में घी डालने से कभी बाज नहीं आया। इतना ही नहीं उसने हिन्दू- मुस्लिम एकता को भी हमेशा बिखेरने की कोशिश की।
सूत्र बताते हैं कि मातमी माहौल का फायदा उठाते हुये आई एस आई ने टाइगर मेमन को ढूंढ निकाला। टाईगर का मुंबई में अच्छा खासा दबदबा था। मुख्य रूप से चांदी का तस्करी करने वाला टाइगर आई एस आई के प्रभाव में आकर मुंबई को तहस नहस करने के लिये राजी हो गया। बैठको के कई दौर चले। अंतत: यह फैसला हुआ कि दाऊद को शामिल किये बिना मुंबई धमाके की बड़ी योजना सफल नहीं हो सकती। सूत्र बताते है कि दाऊद इतना बड़ा रिस्क लेने को तैयार नहीं था क्योंकि दाऊद को मुंबई से करोड़ों की कमाई होती थी। इस मामले को लेकर दुबई में दाऊद, टाइगर और आई एस आई के बीच कई दौर की बैठकें हुई। बैठक में यह तय हुआ कि दाऊद को जो घाटा मुंबई में होगा उसकी भरपाई कराची और अन्य जगहों से कर दी जायेगी। यह भी गारंटी दी गई कि पाकिस्तान का कोई भी डॉन उसके कारोबार में दखल नहीं देगा और सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी आई एस आई पर होगी। इसके बाद हीं दाऊद राजी हुआ और 1993 मुंबई विस्फोट को अंजाम दिया।
विस्फोट के बाद वैसा हीं हुआ जैसा बैठक में तय हुआ था। आई एस आई ने दाऊद की हरसंभव मदद की। और दाऊद ने भी आई एस आई की मदद की। जानकार बताते है जैसे दाऊद पहले स्वतंत्र था लेकिन अब नहीं है। क्योंकि दाऊद पाकिस्तान के उन सारे हरकतों से वाकिफ है जो भारत के खिलाफ किया गया। इसलिये पाकिस्तान दाऊद को अपनी निगरानी से दूर नहीं जाने देगा।
बहरहाल स्थितियां अब बदल गई है। कहा जा रहा है कि पहले आई एस आई को जरूरत थी दाऊद की लेकिन अब नहीं है। जब तक दाऊद आई एस आई के अधिकारियों को पैसा देता रहेगा तभी तक वह सुरक्षित है।

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