दाऊद इब्राहीम लगातार सुर्खियों में है। आज भी चर्चा रही कि दाऊद, अनीस और टाइगर मेमन को पाकिस्तान में हिरासत में ले लिया गया है और वो भी अमेरिका के दबाव में। लेकिन डी कंपनी के सबसे खास सदस्य और डॉन छोटा शकील ने इसका खंडन कर दिया। इसके बाद यह समाचार सुर्खियों से गायब हो गया। एक चर्चा यह भी थी कि दाऊद के काफिले पर हमला हुआ जिसमें दाऊद का भाई अनीस इब्राहीम जख्मी हो गया है। यह भी समाचार अफवाह निकला। यहां सवाल है कि डी कंपनी पर हमला करने की क्षमता किसमें है? बताया जाता है कि दाऊद को सबसे ज्यादा खतरा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई एस आई और वहीं के लोकल अंडरवर्ल्ड से है। इसके अलावा सबसे बड़ी चुनौती अंडरवर्ल्ड के एक और डॉन छोटा राजन से है।
छोटा राजन का असली नाम है राजन सदाशिव निखालजे। ऱाजन ने जब मुंबई के अपराध जगत में कदम रखा, उस समय मुंबई के एक इलाके में राजन नायर का दबदबा था। राजन निखालजे अपने आक्रमक तेवर के कारण अपराध जगत में तेजी से उभरा और कुछ समय तक राजन नायर के साथ काम भी किया ऐसे में गिरोह के लोगों ने राजन नायर को बड़ा राजन और राजन सदाशिव निखालजे को छोटा राजन के नाम से पुकारने लगे। बड़ा राजन की हत्या के बाद छोटा राजन ने दाऊद के खेमे में शामिल हो गया। बहरहाल अंडरवर्ल्ड की दुनियां में जो रुतबा दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन का है वैसी रुतबा पहले किसी की नहीं रही। लेकिन आज दोनो सिर्फ अलग अलग हीं नहीं बल्कि एक दूसरे की जानी दुश्मन बन चुके हैं। और जानलेवा हमले करने से भी नहीं चुकते।
दाऊद और राजन के बीच मतभेद
जानकार बताते हैं कि दोनो काफी घनिष्ठ मित्र रहे लेकिन पैसे बंटवारे को लेकर दोनो के बीच मतभेद उभरने शुरु हो गये।यह वाक्या है अस्सी दशक के अंतिम दौर का। यह मतभेद उस समय और गहरा गया जब राजन ने दाऊद को जानकारी दिये बिना हीं शिव सेना के नगर सेवक खिम बहादुर थापा को लुढका दिया। कहा जाता है कि थापा के दाऊद से अच्छे संबंध थे। और इस हत्याकांड को लेकर दाऊद राजन से काफी नाराज़ हो गया था। बहरहाल इसी बीच 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराये जाने के बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुये। इसी कड़ी में 12 मार्च 1993 को मुंबई के कई इलाकों में बम धमाके हुये और 257 लोग मारे गये। इसके लिये मुख्य रुप से दाऊद इब्राहीम और टाइगर मेमन को दोषी माना गया। यहीं से छोटा राजन ने अपने आपको दाऊद से अलग करना शुरु कर दिया। ऱाजन भी देश से बाहर था । अब वह दुबई से बाहर किसी और देश में अपना ठिकाना बनाना शुरु कर दिया। इस बीच डी कंपनी ने छोटा राजन की हत्या के लिये कोशिशे शुरु कर दी थी। जानकारों का यह भी मानना है कि राजन को डॉन अबु सलेम ने टीप्स दी थी कि वह दाऊद से सावधान रहे, वह काफी नाराज़ है। सलेम भी उस समय डी कंपनी में ही था लेकिन उसने छोट राजन को सावधान कर दिया था क्योंकि डी कंपनी में रहते हुये दोनो अच्छे मित्र बन गये थे।
दाऊद और राजन के बीच गैंगवार – अगली किस्त में ...
Tuesday, 7 August 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment