पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को डर है कि कहीं अंडरवर्लड डॉन दाउद इब्राहिम उसे छोड कर खुद को भारत के हवाले न कर दे। दाऊद के सरेंडर के डर से आईएसआई ने उसके परिवार समेत पाकिस्तान से बाहर जाने पर रोक लगा दी है।इसी रोक की वजह से दाऊद हाल ही में अपने एक खास साथी की बेटी के निकाह में अपने परिवारवालों को नहीं ले जा सका। ये दाऊद का वो साथी है, जिसे उसका दाहिना हाथ माना जाता है और डी कंपनी का काला कारोबार उसी की देखरेख में चलता है। ओमान- खाडी का एक देश। ये वो जगह है जहां हाल ही में एक जश्न आयोजित किया गया था। ये मौका था डी कंपनी के एक खास शूटर की बेटी की निकाह का। ये शूटर अंडरवर्लड में दाऊद का दाहिना हाथ माना जाता है और वो चाहता था कि बॉस अपने पूरे परिवार के साथ शादी में शरीक हों, लेकिन आईएसआई ने उसकी मंशा पर पानी फेर दिया।
आईएसआई ने दाउद को तो इस कार्यक्रम मे हिस्सा लेने के लिए जाने तो दिया लेकिन उसके परिवार और डी कंपनी के बाकी सदस्यों को पाकिस्तान में ही बंधक बनाए रखा. यानी जब तक दाउद पाकिसातान नहीं लौटा, उसके लोगों को पाकिसातान से बाहर नहीं जाने दिया गया।दरअसल जिस छतरी के नीचे दाऊद इह्राहिम ने पनाह ली, अब वही उसके लिये कैदखाना बन गया है। दाऊद इब्राहिम के परिवार का कोई सदस्य अगर पाकिस्तान से बाहर है, तो दाऊद पाकिस्तान छोड कर बाहर नहीं जा सकता और अगर दाऊद खुद पाकिस्तान से बाहर जाता है तो उसके कुनबे को पाकिस्तान छोडने की इजाजत नहीं है। जी हां, जिस अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम से मुंबई खौफ खाती है और तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां जिसे अपनी गिरफ्त में लेने को बेताब हैं, उस दाउद इब्राहिम पर ये बंदिशें लगाईं हैं उसे पनाह देने वाली पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई ने। डॉन की यही मजबूरी ओमान में निकाह के इस मौके पर सामने आई।
दाऊद के लिये इस शादी में सपरिवार शामिल होना काफी अहमियत रखता था। अंडरवर्लड में माना जाता है कि दाऊद की सल्तनत खडी करने में इस शूटर ने अहम भूमिका निभाई। अब भी दाऊद का काला कारोबार उसी की देखरेख में चलता है।पर आईएसआई की ओर से लगाई गई बंदिशों की वजह से दाऊद उसकी बेटी की शादी में अपने परिवार के बाकी सदस्यों को नहीं ले जा सका। दरअसल 2001 तक दाऊद दुबई में ही रहता था। पर 2001 में world trade centre पर हुए आतंकवादी हमले के बाद दुनियाभर में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस वक्त तक दाऊद भी एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जा चुका था, क्योंकि 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बमकांड में उसकी भूमिका की बात भारत ने दुनिया को बता दी थी। दाऊद दुबई में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा और उसने पाकिसातानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद की गुहार लगाई। आईएसआई के लिये भी दाऊद को बचाना जरूरी था क्योंकि दाऊद न केवल आईएसआई का राजदार था, बल्कि भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिये उसका एक अहम प्यादा भी। इसलिये आईएसआई ने उसे कराची में पनाह दे दी...पर अब आईएसआई चिंतित है। उसे लग रहा है कि दाऊद खुद को कहीं भारत सरकार के सामने सरेंडर करके उसके काले कारनामों की पोल न खोल दे।ऐसी हालत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की बडी फजीहत होगी। दाऊद अबसे चंद साल पहले भारत के मशहूर वकील राम जेठमलानी को फोन करके कुछ शर्तों के साथ सरेंडर करने की पेशकश कर चुका है। उसका एक भाई इकबाल कासकर भी अब भारत में है और मुंबई पुलिस कासकर को अदालत में दोषी नहीं साबित कर पाई। ये सारी बातें इशारा करतीं हैं कि दाऊद अब वापस भारत लौटना चाहता है।
सवाल ये खडा होता है की दाउद और आईएसआई के बीच के अनबन की ये शुरुवात है या डर. लेकिन एक बात तो साफ है की अब डाँन के लिए पाकिस्तान मे भी सबकुछ ठीक ठाक नही है।
आईएसआई ने दाउद को तो इस कार्यक्रम मे हिस्सा लेने के लिए जाने तो दिया लेकिन उसके परिवार और डी कंपनी के बाकी सदस्यों को पाकिस्तान में ही बंधक बनाए रखा. यानी जब तक दाउद पाकिसातान नहीं लौटा, उसके लोगों को पाकिसातान से बाहर नहीं जाने दिया गया।दरअसल जिस छतरी के नीचे दाऊद इह्राहिम ने पनाह ली, अब वही उसके लिये कैदखाना बन गया है। दाऊद इब्राहिम के परिवार का कोई सदस्य अगर पाकिस्तान से बाहर है, तो दाऊद पाकिस्तान छोड कर बाहर नहीं जा सकता और अगर दाऊद खुद पाकिस्तान से बाहर जाता है तो उसके कुनबे को पाकिस्तान छोडने की इजाजत नहीं है। जी हां, जिस अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम से मुंबई खौफ खाती है और तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां जिसे अपनी गिरफ्त में लेने को बेताब हैं, उस दाउद इब्राहिम पर ये बंदिशें लगाईं हैं उसे पनाह देने वाली पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई ने। डॉन की यही मजबूरी ओमान में निकाह के इस मौके पर सामने आई।
दाऊद के लिये इस शादी में सपरिवार शामिल होना काफी अहमियत रखता था। अंडरवर्लड में माना जाता है कि दाऊद की सल्तनत खडी करने में इस शूटर ने अहम भूमिका निभाई। अब भी दाऊद का काला कारोबार उसी की देखरेख में चलता है।पर आईएसआई की ओर से लगाई गई बंदिशों की वजह से दाऊद उसकी बेटी की शादी में अपने परिवार के बाकी सदस्यों को नहीं ले जा सका। दरअसल 2001 तक दाऊद दुबई में ही रहता था। पर 2001 में world trade centre पर हुए आतंकवादी हमले के बाद दुनियाभर में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस वक्त तक दाऊद भी एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जा चुका था, क्योंकि 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बमकांड में उसकी भूमिका की बात भारत ने दुनिया को बता दी थी। दाऊद दुबई में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा और उसने पाकिसातानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद की गुहार लगाई। आईएसआई के लिये भी दाऊद को बचाना जरूरी था क्योंकि दाऊद न केवल आईएसआई का राजदार था, बल्कि भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिये उसका एक अहम प्यादा भी। इसलिये आईएसआई ने उसे कराची में पनाह दे दी...पर अब आईएसआई चिंतित है। उसे लग रहा है कि दाऊद खुद को कहीं भारत सरकार के सामने सरेंडर करके उसके काले कारनामों की पोल न खोल दे।ऐसी हालत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की बडी फजीहत होगी। दाऊद अबसे चंद साल पहले भारत के मशहूर वकील राम जेठमलानी को फोन करके कुछ शर्तों के साथ सरेंडर करने की पेशकश कर चुका है। उसका एक भाई इकबाल कासकर भी अब भारत में है और मुंबई पुलिस कासकर को अदालत में दोषी नहीं साबित कर पाई। ये सारी बातें इशारा करतीं हैं कि दाऊद अब वापस भारत लौटना चाहता है।
सवाल ये खडा होता है की दाउद और आईएसआई के बीच के अनबन की ये शुरुवात है या डर. लेकिन एक बात तो साफ है की अब डाँन के लिए पाकिस्तान मे भी सबकुछ ठीक ठाक नही है।
2 comments:
जैसे उडि जहाज का पंछी ......
खूब इंतजार है उस समय का ।
क्या है छ.ग.के पुलिस प्रमुख का पत्र
स्वागत करने को आतुर है नये चमत्कारी मसीहा उर्फ एक और नेताजी का - मेरे महान लोकतन्त्र की जनता
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