बीजेपी नेता प्रमोद महाजन की हत्या के जुर्म में मुंबई सेशंस कोर्ट ने उन्ही के भाई प्रवीण महाजन को उम्रकैद की सजा और कुल 20 हजार की जुर्माना सुनाई है। अदालत ने कल ही उन्हें इस मामले में दोषी घोषित किया था। सजा सुनाये जाने से पहले बचाव पक्ष और मुंबई पुलिस के वकीलों के बीच कडी बहस हुई। प्रवीण महाजन को जब सेशंस कोर्ट के जज श्रीहरि डावरे ने जब उम्रकैद की सजा सुनाई तो उनके चेहरे पर न तो कोई दुख था और न ही कोई घबराहट। मानो इस सजा के लिये वे पहले से ही तैयार थे। सोमवार को ही अदालत ने उन्हें बीजेपी नेता प्रमोद महाजन की हत्या का दोषी करार दिया था। सजा सुनाये जाते वक्त अदालत में खचाखच भीड थी। पत्रकारों, पुलिसकर्मियों के अलावा अदालत में प्रवीण महाजन की पत्नी सारंगी भी मौजूद थीं। प्रवीण को उम्रकैद की सजा सुनाये जाते ही वो रोने लगीं। वहां आये प्रवीण के बाकी रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला। प्रवीण महाजन को धारा 302 और धारा 449 के तहत उम्र कैद और कुल 20,000 का जुर्माना सुनाया गया है। अदालती कार्रवाई की शुरूवात मुंबई पुलिस के वकील उज्जवल निकम और बचाव पक्ष के वकीलों के बीच गर्मागर्म बहस से हुई। मुंबई पुलिस ने अदालत से कहा कि प्रवीण महाजन ने जो अपराध किया है, उसके लिये फांसीं से कम सजा नहीं दी जा सकती। प्रमोद महाजन एक बडे कद के नेता थे और प्रवीण ने सुनियोजित ढंग से उनकी हत्या की। ये बात अदालत में साबित हो चुकी है, इसलिये सजा सुनाये जाते वक्त कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिये।
अदालत में ये बात साबित हो चुकी है कि 22 अप्रैल 2006 को प्रवीण महाजन ने अपने भाई प्रमोद के वर्ली इलाके के फ्लैट में जाकर उनपर गोलियां बरसाईं। इसके बाद उसने खुद को वर्ली पुलिस थाने में सरेंडर कर दिया। 13 दिनों तक मौत से जूझने के बाद आखिरकार प्रमोद महाजन ने दम तोड दिया। इस मामले में मुंबई पुलिस ने मुकदमें के दौरान कुल 34 गवाहों को अदालत के सामने पेश किया, जिसमें प्रमोद महाजन की पत्नी रेखा और नौकर महेश वानखेड़े भी शामिल थे, ये दोनों लोग वारदात के वक्त प्रमोद महाजन के फ्लैट में मौजूद थे, इन दोनों गवाहों के साथ ही उस इंसपेक्टर ने भी गवाही दी जिसके सामने प्रवीण ने खुद को सरेंडर किया था। हालांकि पुलिस का केस काफी मजबूत था लेकिन बचाव पक्ष ने भी इस बात की पूरी कोशिश की, कि प्रवीण महाजन को फांसीं की सजा न मिले। सजा में नरमी बरतने की मांग करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने जज से कहा कि प्रवीण के 3 आश्रित हैं। पत्नी सारंगी के अलावा उनके 2 बच्चे हैं। प्रवीण ही अपने परिवार के लिये रोजी रोटी जुटाने का आधार हैं। उनका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। इसलिये उन्हें फांसीं न दी जाये। अदालत ने प्रवीण महाजन को Indian Penal Code की धारा 302 और 449 के तहत दोषी करार दिया है। इसका मतलब है कि अदालत ने ये माना कि प्रवीण 22 अप्रैल की सुबह प्रमोद महाजन की हत्या के इरादे से ही उनके घर में घुसे थे। धारा 302 के तहत अधिकतम सजा फांसीं की है और धारा 449 के तहत 10 साल कैद-ए-बामशक्कत।
प्रवीण महाजन को फांसीं की सजा दिये जाने की मांग पर अदालत के सामने ये सवाल खडा हुआ कि क्या उसका किया हुआ जुर्म rarest of rare crime के दर्जे में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में इस बात पर जोर दिया है कि फांसीं की सजा उन्ही गुनहगारों को दी जानी चाहिये, जिन्होने इतने गंभीर अपराध किये हों, जो आम तौर पर नहीं होते। प्रवीण महाजन के मामले में भी अदालत को ये देखना था कि क्या उनका जुर्म rarest of rare crime की परिभाषा के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा नहीं ये मामला rarest of rare crime की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है।
प्रवीण महाजन ये कानूनी लडाई हार चुके हैं, लेकिन सेशंस कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ वे बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आर्डर की कॉपी हाथ लगते ही उनके वकील हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
अदालत में ये बात साबित हो चुकी है कि 22 अप्रैल 2006 को प्रवीण महाजन ने अपने भाई प्रमोद के वर्ली इलाके के फ्लैट में जाकर उनपर गोलियां बरसाईं। इसके बाद उसने खुद को वर्ली पुलिस थाने में सरेंडर कर दिया। 13 दिनों तक मौत से जूझने के बाद आखिरकार प्रमोद महाजन ने दम तोड दिया। इस मामले में मुंबई पुलिस ने मुकदमें के दौरान कुल 34 गवाहों को अदालत के सामने पेश किया, जिसमें प्रमोद महाजन की पत्नी रेखा और नौकर महेश वानखेड़े भी शामिल थे, ये दोनों लोग वारदात के वक्त प्रमोद महाजन के फ्लैट में मौजूद थे, इन दोनों गवाहों के साथ ही उस इंसपेक्टर ने भी गवाही दी जिसके सामने प्रवीण ने खुद को सरेंडर किया था। हालांकि पुलिस का केस काफी मजबूत था लेकिन बचाव पक्ष ने भी इस बात की पूरी कोशिश की, कि प्रवीण महाजन को फांसीं की सजा न मिले। सजा में नरमी बरतने की मांग करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने जज से कहा कि प्रवीण के 3 आश्रित हैं। पत्नी सारंगी के अलावा उनके 2 बच्चे हैं। प्रवीण ही अपने परिवार के लिये रोजी रोटी जुटाने का आधार हैं। उनका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। इसलिये उन्हें फांसीं न दी जाये। अदालत ने प्रवीण महाजन को Indian Penal Code की धारा 302 और 449 के तहत दोषी करार दिया है। इसका मतलब है कि अदालत ने ये माना कि प्रवीण 22 अप्रैल की सुबह प्रमोद महाजन की हत्या के इरादे से ही उनके घर में घुसे थे। धारा 302 के तहत अधिकतम सजा फांसीं की है और धारा 449 के तहत 10 साल कैद-ए-बामशक्कत।
प्रवीण महाजन को फांसीं की सजा दिये जाने की मांग पर अदालत के सामने ये सवाल खडा हुआ कि क्या उसका किया हुआ जुर्म rarest of rare crime के दर्जे में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में इस बात पर जोर दिया है कि फांसीं की सजा उन्ही गुनहगारों को दी जानी चाहिये, जिन्होने इतने गंभीर अपराध किये हों, जो आम तौर पर नहीं होते। प्रवीण महाजन के मामले में भी अदालत को ये देखना था कि क्या उनका जुर्म rarest of rare crime की परिभाषा के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा नहीं ये मामला rarest of rare crime की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है।
प्रवीण महाजन ये कानूनी लडाई हार चुके हैं, लेकिन सेशंस कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ वे बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आर्डर की कॉपी हाथ लगते ही उनके वकील हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
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