Tuesday, 5 February 2008

राज ठाकरे के गुंडो में पुलिस वाला भी शामिल करे तो क्या करें उत्तर भारतीय

राज ठाकरे के समर्थकों की गुंड़ा-गर्दी की खबर पुलिस को मिल चुकी थी लेकिन पुलिस आंख मुंदी रही। उत्तर भारत के गरीबों को मार पीटा जा रहा था दूर खड़ी पुलिस तमाशा देख रही थी। पुलिस वाले मस्ती में थे और मार खा रहे गरीबो पर हंस रहे थे। लेकिन उन्हें जैसे खबर मिली की उत्तर भारतीय हिंसात्मक कार्रवाई कर सकते हैं पुलिस सकते में आ गई। हर चौराहे पर पुलिस तैनात कर दिया गया। इस लिये नहीं कि वे दंगे को नियंत्रण करेंगे बल्कि राज ठाकरे के गुंडे को सुरक्षा देने की मकसद से पुलिस तैनात की गई थी। जब तक गुंडे गरीबों को पिटते रहे पुलिस वाले मस्ती करते रहे लेकिन जैसे ही गरीब आदमी(उत्तर भारतीय) अपने आपको बचाने के लिये हाथ पांव चलाना शुरु किया तो पुलिस वाले उस गरीब को जमकर पिटते। और राज के गुंडे को कहते कि तुम्हारा काम हो गया। फिर गुंडों की झुंड थोड़ी दूर पर जाकर यही कहानी दोहराते। असल में पुलिस राज के गुंडों को हर तरह से मदद कर रही थी। कुछ को उन्होने गिरफ्तर तो किया लेकिन उनके खिलाफ मामुली आरोप लगाये जिसे तुंरत ही जमानत मिल गई।

4 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

पुलिस हर जगह स्थानीयवाद से ग्रसित रही है। जो करना है कर गुजरती है बाद में भले ही उस के स्पष्टीकरण देने पड़ें।

ghughutibasuti said...

इन सब मूर्खताओं की हम सबको जमकर कीमत चुकानी पड़ेगी ।
घुघूती बासूती

Ashish Maharishi said...

इस देश का खुदा ही मालिक है, भगवान सबको सदबुद्वि दे

Ashish Maharishi said...

इस देश का खुदा ही मालिक है, भगवान सबको सदबुद्वि दे