कोलकाता में सेक्स वर्करों ने अपने लिए बनाए कॉपेरेटिव बैंक ‘उषा कॉपेरेटिव मल्टीपरपस सोसायटी लिमिटेड’ में पिछले एक साल में 10 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इस बैंक की सदस्य संख्या 8567 है। इस बैंक की सफतला को देख सेक्स वर्करों ने पश्चिम बंगाल के 6 और जिलों में ब्रांच खोलने का फैसला किया है। इस बैंक के मार्फत मुसिबत के दौर में अपने लिए पैसे निकाल सकती हैं। जरुरत पड़े तो लोन भी ले सकती हैं।
सेक्स वर्करों को सिर्फ समाज में हीं नही आर्थिक जगहों पर भी कठिनाइयां होने लगी थी। उन्हें अपने लिए बैंक में खाता खोलना मुश्किल हो रहा था। एक तो दूसरे शहर की लड़कियां थी उनके पास न तो राशन कार्ड होता था और न ही कोई अन्य प्रमाण। इसके अलाव सेक्स वर्करों के कारोबार के बारे मालूम चलते हीं ताने और ओछी नजरों का सामना हर जगह करना पड़ रहा था।
बहरहाल खबरे आ रही
है कि सेक्स वर्कर अपने पैसों से अपने और अपनों के लिए स्कूल और हॉस्पीटल बनाने पर भी विचार कर रहीं हैं ताकि उन्हें अपने कारोबार के अलाव जिन जगहों से अधिक सामना करना पड़ता है उसका इंतजाम वे खुद कर लें। ताकि उनके साथ रात में आंनद उठान वाले लोग दिन के उजाले में उन्हें अधिक बदनाम न कर सके।
एक सेक्स वर्कर ने सवाल उठाया है कि पेट के लिए वेश्यावृति में शामिल गरीब लड़कियों को हिकारत की नजर से देखा जाता है। आखिर क्यों? जबकि अधिक पैसे लेकर खुलेआम नंगापन डांस और बड़े बड़े होटल में पैस लेकर जो लोग वेश्यावृति का काम करते हैं उन्हें आधुनिक और सभ्य समाज का हिस्सा क्यों कहा जाता है?
Friday, 18 April 2008
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