Wednesday 24 December, 2008

पाकिस्तान का परमाणु बम आंतकवादियों से दूर नहीं। राष्ट्रपति जरदारी आंतकवादियों के बीच का ही आदमी है। क्या जरदारी ने हीं अपनी पत्नी की हत्या करवायी ?

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की हत्या में क्या उन्हीं के पति आसिफ अली जरदारी (वर्तमान राष्ट्रपति,पाकिस्तान) का हाथ है? पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी जिस प्रकार से आंतवादियों के समर्थन में, भारत के साथ युद्ध करने को भी तैयार हैं यह सब कुछ बेनजीर की हत्या की ओर भी इशारा करता हैं। कुछ कडियों को जोड़ने पर साफ मालूम पड़ता है कि बेनजीर की हत्या में उनके ही पति का हाथ हो सकता है। और इसमें आंतकवादी संगठन और आईएसआई का एक बड़ा नेटवर्क जुड़ा हुआ है।

1. हथियारो से लैस अपराधी बैनजीर के पास तक कैसे पहुंचा ?
2. बेनजीर की हत्या कैसे हुई इसको लेकर भ्रम क्यों फैलाया गया ? पहले रिपोर्ट आई कि गोली लगने से हत्या हुई। फिर कुछ समय बाद यह क्यो कहा गया कि बेनजीर की मौत गोली से नहीं हुई।
3.बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने बेनजीर की दुबारा पोस्टमार्टम क्यों नहीं होने दी? जिससे सच्चाई सामने आ जाती।
4. बेनजीर की मौत के बाद राजनीति में न आने की दुहाई देने वाले जरदारी राष्ट्रपति बन क्यों बन बैठे। अपने बेटे को सिर्फ मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। यदि पहले ही कह देते कि वे राजनीति में आ रहे है तो आम जनता को धोखा नहीं होता।
5. जरदारी के राष्ट्रपति बनते हीं आंतकवादियों की गतिविधियां तेज हो गई। उन्हें सेना और आईएसआई से भरपूर सुरक्षा और मदद मिलने लगी।
6. मुंबई में हुए आंतकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति जरदारी आंतवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजाय उन्हें बचाने पर क्यों जुटे? क्या उन्हें डर है कि आंतकवादियों के खिलाफ कार्रवाई किये तो आंतकवादी संगठन उसके पोल खोल देंगे।
7. मुंबई में पकड़े गये आंतकवादी कसाब के बारे में पाकिस्तानी मीडिया, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सभी कह रहे हैं कि वह पाकिस्तानी है लेकिन पाकिस्तानी सरकार साफ इंकार कर रही है।
8. मुंबई हमले के बाद आंतकवादी संगठन के कुछ बड़े प्रमुख को पकडने के बाद क्यों कहा कि वह पाकिस्तान में नहीं है।
7. लश्करे- तैय्यबा सहित सभी आंतकवादी संगठन ने जरदारी को क्यों समर्थन दिया कि यदि भारत के खिलाफ जंग होता है तो उसके एक लाख ट्रैंड लोग पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर लड़ेगी।

पहले से ही कहा जा रहा है कि पाकिस्तान दुनियां के लिये गंभीर खतरा बनने जा रहा है। अब यह दिखने भी लगा है। पाकिस्तान को आंतकवादियों की राजधानी कहा जाये तो गलत नही होगा। आसिफ जरदारी का राष्ट्रपति बनना यह संकेत करता है कि आंतकवादियों के बीच का ही कोई आदमी राष्ट्रपति बन बैठा है। यानी पाकिस्तान का परमाणु बम आंतकवादियों से दूर नहीं है। ऐसे में आंतकवादी कोई बहुत बड़ी घटना को भी अंजाम दे सकते हैं। आंतकवादी कोई बड़ा हमला करे इससे पहले ही ठोस कार्रवाई कर देनी चाहिये। चाहे पाकिस्तान पर हमला ही क्यों न करना पड़े। यदि आप हमला नहीं करते हैं और कल फिर यही घटना दुहराई जाती है तो फिर क्या करेंगे ?

3 comments:

Gyan Darpan said...

मुझे तो हर पाकिस्तानी आतंकवादी ही नजर आता है जरदारी तो वैसे भी कोनसा दूध का धुला है ?

Jitendra said...

ye sab atankvadi pakistan par hukumat kar rahe hain. sab mile jule hain. sarkar ho ya koi atanki sangthan sab bharat ko barbad karna chahte hain. koi bhi apni bat badal deta hai jaise koi unhe dekh nahi raha. media me kabhi kuch keh dete bad me palat jate hain.

mangilaljain said...

हमारे देस में भी आतंकवादियो के बाप अमर , लालू पासवान मुलायम अंतुले अर्जुन सिंग मोजूद है