प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी आप कुछ भी कर ले पाकिस्तान एक ही रट लगायेगा कि मुंबई हमले मामले में पकड़ा गया आंतकवादी मोहम्मद अजमल कसाब पाकिस्तानी नहीं है। मुंबई हमले मे किसी भी सरकारी पाकिस्तानी ऐजेंसी का हाथ नहीं है। भारत में हो रहे आंतकवादी हमले में पाकिस्तान स्थित आंतकवादी गतिविधियों के बारे में पाकिस्तान की सरकार पहले भी नकारती रही है लेकिन इस बार हमारे पास पुख्ता सबूत होते हुए भी पाकिस्तान नकार रहा है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी आप पाकिस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से उम्मीद न करे कि वह आसानी से मान जायेगें कि मुंबई हमले में पाकिस्तान या पाकिस्तान स्थित किसी आंतकवादी संगठन का हाथ है। क्योंकि जो राष्ट्रपति जरदारी अपनी पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया हो उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं। बेनजीर की हत्या आंतकवादियो ने ही की। कहा जाता है कि राष्ट्रपति जरदारी और आंतवादियों के बीच जबरदस्त सांठगांठ है। इसे इस प्रकार कहे कि राष्ट्रपति जरदारी को पाकिस्तान की सत्ता तक पहुंचाने के लिये आंतकवादियों ने बेनजीर की हत्या को अंजाम दिया तो गलत नहीं होगा। बेनजीर की हत्या की जांच को आगे बढाने को लेकर पाकिस्तान में भी रैलियां निकाली जा रही है। यदि राष्ट्रपति जरदारी का हाथ अपनी पत्नी के हत्या में नहीं है तो आखिर क्या वजह है कि राष्ट्रपति जरदारी आंतकवादियों के खिलाफ कदम उठाने से डर रहे हैं? आखिर क्यों आंतकवादी संगठन तालिबान ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर भारत के खिलाफ युद्द लड़ने का ऐलान किया ?
क्या भारत को पाकिस्तान पर हमला करना चाहिये ? इसका एक लाईन में उत्तर है नहीं। इस पर दर्जनों सवाल उठ सकते हैं ? लेकिन मेरा मानना है कि दोनो देश परमाणु ताकत है। ऐसे में हमला करना उचित नहीं होगा क्योंकि आज की तिथि में हम जीत कर भी हार जायेंगे। परमाणु का डर नहीं है लेकिन यदि युद्व होता है तो भारत कुछ ही समय में पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देगा। वह ऐसे युग में चला जायेगा जहां टेली विजन औ र रेडियो सपने लगते होंगे। लेकिन हमें भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। भारत 15 से 20 सालों के अंदर आर्थिक जगत में दुनिया का नेतृत्व करने वाला है वहीं युद्व होने पर हम कम से कम 30 साल पीछे छुट जायेंगे। जानमाल का नुकसान होगा सो अलग।
पाकिस्तानी आंतकवादियों हमले का हल क्या है ? आज की तारीख में इसका हल यही है कि भारत अपनी रक्षा पंक्ति मजबूत रखे, खुफिया सूचना के आधार पर देश के अंदर आंतकवादियों को मार गिराये और संयम से काम करे। युद्द अंतिम रास्ता है। भारत को संयम से ही काम करना चाहिये। क्योंकि पाकिस्तान खुद ही टूट की कगार पर है। पाकिस्तान में सत्ता के चार केंद्र हैं – (1) राष्ट्रपति (2) प्रधानमंत्री (3) सेना अध्यक्ष और (4) आईएसआई । इसमें भी पाकिस्तान का सेना अध्यक्ष काफी ताकतवर है। इसके इतिहास से पूरी दुनियां वाकिफ है। यहां सब लोग मजे में है लेकिन पाकिस्तान की जनता बेहाल है।
पाकिस्तान चार प्रांतो में बंटा हुआ है 1.बलूचिस्तान 2.नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस 3.पंजाब और 4. सिंध । इसके अलावा चार प्रशासनिक क्षेत्र हैं 5.इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र 6.संघीय प्रशासित ट्राईबल क्षेत्र 7. पाक अधिकृत कशमीर और 8.उत्तरी क्षेत्र। यानी कुल मिलाकर पाकिस्तान आठ भागों में है। इनमें से दो राज्य बलूचिस्तान और नॉर्थ फ्रंटियर प्रोविंस पाकिस्तान सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। और यह इलाका लगभग आधा पाकिस्तान है। आप पाकिस्तान के नक्शे को देख समझ सकते हैं। इन्हीं इलाके में तालिबानी आंतकवादियों का बोलबाला है।
बलूचिस्तान और नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में अमेरिका के दबाव में पाकिस्तानी सेना और आंतकवादियों के बीच लगातार एक दूसरे पर हमले की खबर आती है जब अमेरिका को यह लगता है कि पाकिस्तानी सेना आंतकवादियों के खिलाफ कुछ नही कर रही है तो पाकिस्तान की इजाजत के बिना अमेरिकी जहाज पाकिस्तान में घुस कर बमबारी करते रहती है। यह एक आजाद मुल्क के लिये शर्म की बात है।
परवेज मुशरर्फ जब पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष और राष्ट्रपति थे तब पाकिस्तान की सेना बलूचिस्तान और नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में तालिबानी आंतकवादियों के खिलाफ तेज कारवाई हो रही थी लेकिन आज नहीं। यहां उल्लेखनीय है कि शासन किसी का भी हो लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर इलाके में आंतकवादियों को वहां की सरकार हमेशा मदद करते रही है। आंतकवादियों के पास वे सारी सुविधायें जो पाकिस्तान की सेना के पास है।
ऐसा मालूम पड़ता है कि अमेरिकी सेना के हमले से बचने के लिये हीं पाकिस्तानी आंतकवादियों ने एक योजना बनाई जिसमें आसिफ अली जरदारी से साठगांठ किया गया और बेनजीर की हत्या कर दी गई । और भावनाओं के बल पर जरदारी राष्ट्रपति बन बैठे। यही कारण है कि राष्ट्रपति जरदारी आंतकवादियों के खिलाफ कदम नहीं उठा पा रहे हैं।
Tuesday, 6 January 2009
Wednesday, 31 December 2008
धोनी को दाऊद के नाम पर धमकी, सुरक्षा व्यवस्थी और कड़ी की गई
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को धमकी दी गई है कि वह 50 लाख का इंतजाम कर ले नहीं तो अच्छा नहीं होगा। तुम्हारे परिवार को मार दिया जायेगा। यह धमकी रांची स्थित उनके घर पत्र भेजकर दी गई है। उन्हें कुल दो पत्र मिले हैं। पहले पत्र में धमकी था तो दसूरे में धमकी के साथ हिदायत थी कि पहले पत्र की धमकी को यू न हीं लें।
धमकी देने वालों ने अपने आपको अंडरवर्लड डॉन दाऊद का आदमी बताया है। इस मामले की झारखंड पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। महेंद्र सिंह धोनी की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी गई है। राज्य के उप मुख्यमंत्री ने सुधीर महतो ने कहा है कि धोनी की सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जायेगी। धोनी की सुरक्षा में महिला पुलिस को भी लगाया गया है ताकि लडकियां उन्हें बेवजह परेशान न कर सके।
धोनी के परिवार को पहला पत्र 29 दिसंबर को मिला और दूसरा 31 दिसंबर यानी आज मिला। रांची की एस एस पी संपत मीणा ने कहा इस पत्र के पीछे किसी लोकल गुंडा का षडयंत्र मालूम पड़ता है। लेकिन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन तेज कर दी गई है।
धमकी देने वालों ने अपने आपको अंडरवर्लड डॉन दाऊद का आदमी बताया है। इस मामले की झारखंड पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। महेंद्र सिंह धोनी की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी गई है। राज्य के उप मुख्यमंत्री ने सुधीर महतो ने कहा है कि धोनी की सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जायेगी। धोनी की सुरक्षा में महिला पुलिस को भी लगाया गया है ताकि लडकियां उन्हें बेवजह परेशान न कर सके।
धोनी के परिवार को पहला पत्र 29 दिसंबर को मिला और दूसरा 31 दिसंबर यानी आज मिला। रांची की एस एस पी संपत मीणा ने कहा इस पत्र के पीछे किसी लोकल गुंडा का षडयंत्र मालूम पड़ता है। लेकिन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन तेज कर दी गई है।
Tuesday, 30 December 2008
भाजपा कार्यालय से लगभग ढाई करोड़ रूपये की चोरी
भाजपा के वरिष्ठ नेतागण परेशान हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें और क्या न करें ? साल 2008 जाते जाते भाजपा को लगा गया लगभग ढाई करोड़ का चूना और नेताओं की ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह। दिल्ली के 11 अशोक रोड स्थित भाजपा कार्यालय में बीते शनिवार को जब भाजपा नेता अपनी पार्टी फंड का हिसाब किताब कर रहे थे तब उसने पाया कि पार्टी फंड से लगभग ढाई करोड़ रूपये गायब हैं।
अब सवाल है कि रूपये किसने गायब किये ? इस बारे में कोई भी भाजपा का अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। मजेदार बात यह है कि भाजपा चाहती है कि इस मामले का पता जल्द से जल्द चल जाये लेकिन वह पुलिस में शिकायत करना नहीं चाहती। खबर है कि इसके लिये भाजपा प्राईवेट जासूसों का सहारा ले रही है जो जांच करेगी।
शक भाजपा के नेताओं और कर्मचारियों पर ही जा रहा है क्योंकि पैसे का गबन भाजपा के खंजाची रूम के लॉकर से हुई है।
अब सवाल है कि रूपये किसने गायब किये ? इस बारे में कोई भी भाजपा का अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। मजेदार बात यह है कि भाजपा चाहती है कि इस मामले का पता जल्द से जल्द चल जाये लेकिन वह पुलिस में शिकायत करना नहीं चाहती। खबर है कि इसके लिये भाजपा प्राईवेट जासूसों का सहारा ले रही है जो जांच करेगी।
शक भाजपा के नेताओं और कर्मचारियों पर ही जा रहा है क्योंकि पैसे का गबन भाजपा के खंजाची रूम के लॉकर से हुई है।
Wednesday, 24 December 2008
पाकिस्तान का परमाणु बम आंतकवादियों से दूर नहीं। राष्ट्रपति जरदारी आंतकवादियों के बीच का ही आदमी है। क्या जरदारी ने हीं अपनी पत्नी की हत्या करवायी ?
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की हत्या में क्या उन्हीं के पति आसिफ अली जरदारी (वर्तमान राष्ट्रपति,पाकिस्तान) का हाथ है? पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी जिस प्रकार से आंतवादियों के समर्थन में, भारत के साथ युद्ध करने को भी तैयार हैं यह सब कुछ बेनजीर की हत्या की ओर भी इशारा करता हैं। कुछ कडियों को जोड़ने पर साफ मालूम पड़ता है कि बेनजीर की हत्या में उनके ही पति का हाथ हो सकता है। और इसमें आंतकवादी संगठन और आईएसआई का एक बड़ा नेटवर्क जुड़ा हुआ है।
1. हथियारो से लैस अपराधी बैनजीर के पास तक कैसे पहुंचा ?
2. बेनजीर की हत्या कैसे हुई इसको लेकर भ्रम क्यों फैलाया गया ? पहले रिपोर्ट आई कि गोली लगने से हत्या हुई। फिर कुछ समय बाद यह क्यो कहा गया कि बेनजीर की मौत गोली से नहीं हुई।
3.बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने बेनजीर की दुबारा पोस्टमार्टम क्यों नहीं होने दी? जिससे सच्चाई सामने आ जाती।
4. बेनजीर की मौत के बाद राजनीति में न आने की दुहाई देने वाले जरदारी राष्ट्रपति बन क्यों बन बैठे। अपने बेटे को सिर्फ मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। यदि पहले ही कह देते कि वे राजनीति में आ रहे है तो आम जनता को धोखा नहीं होता।
5. जरदारी के राष्ट्रपति बनते हीं आंतकवादियों की गतिविधियां तेज हो गई। उन्हें सेना और आईएसआई से भरपूर सुरक्षा और मदद मिलने लगी।
6. मुंबई में हुए आंतकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति जरदारी आंतवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजाय उन्हें बचाने पर क्यों जुटे? क्या उन्हें डर है कि आंतकवादियों के खिलाफ कार्रवाई किये तो आंतकवादी संगठन उसके पोल खोल देंगे।
7. मुंबई में पकड़े गये आंतकवादी कसाब के बारे में पाकिस्तानी मीडिया, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सभी कह रहे हैं कि वह पाकिस्तानी है लेकिन पाकिस्तानी सरकार साफ इंकार कर रही है।
8. मुंबई हमले के बाद आंतकवादी संगठन के कुछ बड़े प्रमुख को पकडने के बाद क्यों कहा कि वह पाकिस्तान में नहीं है।
7. लश्करे- तैय्यबा सहित सभी आंतकवादी संगठन ने जरदारी को क्यों समर्थन दिया कि यदि भारत के खिलाफ जंग होता है तो उसके एक लाख ट्रैंड लोग पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर लड़ेगी।
पहले से ही कहा जा रहा है कि पाकिस्तान दुनियां के लिये गंभीर खतरा बनने जा रहा है। अब यह दिखने भी लगा है। पाकिस्तान को आंतकवादियों की राजधानी कहा जाये तो गलत नही होगा। आसिफ जरदारी का राष्ट्रपति बनना यह संकेत करता है कि आंतकवादियों के बीच का ही कोई आदमी राष्ट्रपति बन बैठा है। यानी पाकिस्तान का परमाणु बम आंतकवादियों से दूर नहीं है। ऐसे में आंतकवादी कोई बहुत बड़ी घटना को भी अंजाम दे सकते हैं। आंतकवादी कोई बड़ा हमला करे इससे पहले ही ठोस कार्रवाई कर देनी चाहिये। चाहे पाकिस्तान पर हमला ही क्यों न करना पड़े। यदि आप हमला नहीं करते हैं और कल फिर यही घटना दुहराई जाती है तो फिर क्या करेंगे ?
1. हथियारो से लैस अपराधी बैनजीर के पास तक कैसे पहुंचा ?
2. बेनजीर की हत्या कैसे हुई इसको लेकर भ्रम क्यों फैलाया गया ? पहले रिपोर्ट आई कि गोली लगने से हत्या हुई। फिर कुछ समय बाद यह क्यो कहा गया कि बेनजीर की मौत गोली से नहीं हुई।
3.बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने बेनजीर की दुबारा पोस्टमार्टम क्यों नहीं होने दी? जिससे सच्चाई सामने आ जाती।
4. बेनजीर की मौत के बाद राजनीति में न आने की दुहाई देने वाले जरदारी राष्ट्रपति बन क्यों बन बैठे। अपने बेटे को सिर्फ मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। यदि पहले ही कह देते कि वे राजनीति में आ रहे है तो आम जनता को धोखा नहीं होता।
5. जरदारी के राष्ट्रपति बनते हीं आंतकवादियों की गतिविधियां तेज हो गई। उन्हें सेना और आईएसआई से भरपूर सुरक्षा और मदद मिलने लगी।
6. मुंबई में हुए आंतकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति जरदारी आंतवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजाय उन्हें बचाने पर क्यों जुटे? क्या उन्हें डर है कि आंतकवादियों के खिलाफ कार्रवाई किये तो आंतकवादी संगठन उसके पोल खोल देंगे।
7. मुंबई में पकड़े गये आंतकवादी कसाब के बारे में पाकिस्तानी मीडिया, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सभी कह रहे हैं कि वह पाकिस्तानी है लेकिन पाकिस्तानी सरकार साफ इंकार कर रही है।
8. मुंबई हमले के बाद आंतकवादी संगठन के कुछ बड़े प्रमुख को पकडने के बाद क्यों कहा कि वह पाकिस्तान में नहीं है।
7. लश्करे- तैय्यबा सहित सभी आंतकवादी संगठन ने जरदारी को क्यों समर्थन दिया कि यदि भारत के खिलाफ जंग होता है तो उसके एक लाख ट्रैंड लोग पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर लड़ेगी।
पहले से ही कहा जा रहा है कि पाकिस्तान दुनियां के लिये गंभीर खतरा बनने जा रहा है। अब यह दिखने भी लगा है। पाकिस्तान को आंतकवादियों की राजधानी कहा जाये तो गलत नही होगा। आसिफ जरदारी का राष्ट्रपति बनना यह संकेत करता है कि आंतकवादियों के बीच का ही कोई आदमी राष्ट्रपति बन बैठा है। यानी पाकिस्तान का परमाणु बम आंतकवादियों से दूर नहीं है। ऐसे में आंतकवादी कोई बहुत बड़ी घटना को भी अंजाम दे सकते हैं। आंतकवादी कोई बड़ा हमला करे इससे पहले ही ठोस कार्रवाई कर देनी चाहिये। चाहे पाकिस्तान पर हमला ही क्यों न करना पड़े। यदि आप हमला नहीं करते हैं और कल फिर यही घटना दुहराई जाती है तो फिर क्या करेंगे ?
Tuesday, 2 December 2008
भारतीय कमांडो का ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो कामयाब रहा लेकिन मुंबई में आंतकी हमले ने कई सवाल छोड गये
मुंबई पुलिस ने साफ कर दिया है कि मुंबई हमले में शामिल आंतकवादियों की संख्या दस थी जिसमें से नौ को मार गिराया गया है और एक पुलिस की हिरासत में है। ये सभी आंतकवादी कराची से चले थे। ये लोग कराची से एक शीप से चले। गुजरात पहुंचने के बाद इनलोगों ने एक ट्रॉलर हाईजैक कर मुंबई के समुद्री इलाके मे पहुंचे। उसके बाद एक छोटे नाव से कोलाबा पहुंचे। ये सभी दस के दस आंतकवादी दो-दो ग्रुप में बंट गये। हर आंतकवादी के पास ए के 47 सीरिज के गन, ग्रेनेड था। आंतकवादियों ने दो-दो ग्रुप में बंट पांच टैक्सी हायर की और अपने टारगेट को निकल पड़े। पांचो टैक्सी में टाईम बम लगा दिये गये। भायकला और विले पार्ले की टैक्सी में विस्फोट हो गया। आंतकवादियों के मुख्य निशाने पर था हॉटल ताज, हॉटल ऑबराय, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस, और कैफे लियोपॉल्ड। मुंबई पुलिस ने यह साफ कर दिया है कि आंतकवादियों में कोई महिला नहीं थी।
बहरहाल पाकिस्तानी आंतकवादियों का मुंबई पर हमला भारत के खिलाफ युद्व का ऐलान है। युद्व इस लिये कह रहा हूं कि पाकिस्तान की सेना भारत की सेना से टकरा नहीं सकती। इसलिये वो आंतकवादियों को कंमाडो ट्रेनिंग देकर आत्मघाती दस्ते के रुप में भारत के खिलाफ काम कर रहा है। बम धमाके का मामला पहले जम्मू कश्मीर तक सीमित था अब देश के अंदर तक हमले हो रहे हैं। दिल्ली-मुंबई कहीं भी आंतकवादी धमाके कर रहे है। मुंबई धमाके पर एक रिपोर्ट -
बहरहाल पाकिस्तानी आंतकवादियों का मुंबई पर हमला भारत के खिलाफ युद्व का ऐलान है। युद्व इस लिये कह रहा हूं कि पाकिस्तान की सेना भारत की सेना से टकरा नहीं सकती। इसलिये वो आंतकवादियों को कंमाडो ट्रेनिंग देकर आत्मघाती दस्ते के रुप में भारत के खिलाफ काम कर रहा है। बम धमाके का मामला पहले जम्मू कश्मीर तक सीमित था अब देश के अंदर तक हमले हो रहे हैं। दिल्ली-मुंबई कहीं भी आंतकवादी धमाके कर रहे है। मुंबई धमाके पर एक रिपोर्ट -
26 नवंबर की रात लगभग 10 बजे - मुंबई की रफ्तार सामान्य गति से चल रही थी. अचानक कुछ जगहों पर गोली चलने की ख़बर आई। सबसे पहले खबर आई कि अंडरवर्ल्ड के दो गुटो के बीच गोलीबारी हो रही है। फिर तेजी से खबर आई कि होटल ताज, होटल ऑबराय, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस, कामा हॉस्पीटल और कैफे लियोपॉल्ड में गोली बारी हो रही है फिर समझने में देर न लगी कि यह अंडरवर्ल्ड का गैंगवार नहीं बल्कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर आंतकवादियों का हमला है।
हमले की खबर मिलते हीं मुंबई पुलिस की एटीएस ने जितना जल्दी हो सका कारवाई शुरू कर दी। तब आंतकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी थी दर्जोनों लोग घायल। एटीएस प्रमुख हेमत करकरे, एडिशनल सीपी अशोक कांप्टे और एनकांउटर स्पेशलिस्ट विजय साल्सकर को भी गोली लगने की खबर आई।
रात लगभग 12 बजे - जैसे जैसे समय निकल रहा था मृतको और घायलों की संख्या बढती जा रही थी। हॉटल ताज, हॉटल ऑबराय, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस, कामा हॉस्पीटल और कैफे लियोपॉल्ड में आंतकवाद गोलीबारी कर रहे थे। एक तरह से इन स्थलों पर आंतकवादियों ने कब्जा जमा लिया था। कुछ जगहो को तो खाली करा लिया गया लेकिन हॉटल ताज, हॉटल ऑबराय और नरीमन हाउस पर आंतकियों ने कब्जा जमा लिया और देशी-विदेशी कई लोगों को बंधक बना लिया। आंतकवाद ए के 47 सीरीज के गन, ग्रेनेड, पिस्टल, ड्रायफ्रूट आदि से लैस थे। कुछ ही समय बाद यह मालूम चलने लगा कि ये आंतक वादी कोई साधारण आंतकवादी नहीं है बल्कि वे लोग हथियार चलाने और लड़ाई लड़ने में माहीर है।
26/27 नवंबर की रात लगभग 2 बजे - अंतत: केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने भी इन हमलों को आंतकवादी हमला बताया। और बताया कि 200 एनएसजी कमांडो मुंबई के लिए रवाना हो चुके हैं। क्योंकि आंतकवादी जिस तरह से रणनीति बनाकर गोली बारी कर रहा था वह कोई साधारण नहीं था बल्कि उस तरह का रणनीति युद्व कौशल में माहीर सेना हीं बनाती है। इसलिये उनसे टकराने के लिये कंमाडो की जरूरत थी पुलिस पुरानी राय़फल से उनके सामने कहां तक टिकती। इसी बीच समय समय पर ये भी खबर आने लगी कि एटीएस प्रमुख हेमत करकरे, एडिशनल सीपी अशोक कांप्टे और एनकांउटर स्पेशलिस्ट विजय साल्सकर शहीद हो गये। सेना और कंमाडो ने मोर्चा संभाल लिया था। दोनो ओर से गोली बारी हो रही थी। सुबह चार बजे मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख ने भी संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि स्थितियो से अवगत कराया।
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27 नवंबर की सुबह- दुनिया के तमाम देशो ने मुंबई में हो रहे आंतकी हमले की नींदा की। लेकिन इधर मुंबई मे गोलीबारी जारी थी। सुबह होते ही सेना ने कार्रवाई तेज कर दी। दिन के ग्यारह बजे खबर आई कि अबतक कुल 115 लोग मारे जा चुके हैं। लगभग 250 लोग घायल हैं। मृतको में देशी-विदेशी नागरिको के अलाव पुलिस के जवान और पांच आंतकवादी। इसी बीच यह भी खबर आने लगी कि आंतकवादियों ने सुमद्री रास्ते का इस्तेमाल किया। यह चर्चा 26 नवंबर की रात से ही थी। दिल्ली में भी आपातकालीन बैठक शुरू हो गई। शाम को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मुंबई में हमला करने वालों की तार विदेशों से जुड़े हुए हैं। रेसक्यू ऑपरेशन जारी था कई लोगों की जान को बाचाया जा चुका था। गोलीबारी हो रही थी। इस हमले की जिम्मेवारी डेकन मजुहिदीन नामक संगठन ने ली। हालांकि ये सभी लश्कर से जुडे हुए संगठन है।
27 नवंबर की शाम-रात – गोलीबारी और ग्रेनेड के धमाको से आवाज गुंज रहा था। लोगो में दहशत था। पुलिस ने मीडिया से आग्रह किया कि लाईव कवरेज न करें क्योंकि आंतकवादियों को मोबाइट फोन और सेटे लाइट फोन से उनके आका अपने गुर्गे को कंमाडो की स्थितियों को बता रहे हैं। गोलीबारी होती रही मृतको की संख्या बढती रही। ताज हॉटल में आग खबरे पहले से ही लगातार आती रही। कभी समुद्री साइड में तो कभी पीछे के साइड।
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28 नवंबर, शुक्रवार का दिन – सुबह सुबह जोरदार कमांडो ऑपरेशन शुरू हो गया नरीमन हाउस में। चौपर से कमांडो उतारे गये नरीमन हाउस के छत पर। बड़ी संख्या में रात में ही कमांडो और सेना ने मौके पर पहुँच चारो ओर पोजिशन ले लिये थे। चॉपर से छत पर कमांडो के उतरते ही जोरदार हमला शुरू गया। सेना उनको कवरअप दे रही थी। गोलाबारी कमांडो ने शुरू की। आंतकी सोच भी नहीं सकते थे कि उनको इस तरह घेर लिया जायेगा। जैसे ही खबर मिली की आंतकियों ने 5 इजरायली नागरिको की हत्या कर दी है उसके बाद कमांडो ने हमले तेज कर दिये। वे सिर्फ रुक रुक कर हमले कर रहे थे कि किसी भी तरह इजरायली नागरिक को छुड़ा लिया जाये। सेना ने लॉन्चर की मदद से हथगोलों को हाउस के अंदर दागना शुरू किया। बहरहाल, फायरिंग और कंट्रोल्ड बलास्ट के सहारे कमांडो ने नरीमन हाउस को आंतकियों से मुक्त करा लिया गया। नरीमन हाउस पर गोलीबारी हो ही रही थी कि इसी बीच ऑबराय हॉटल से नब्बे से अधिक लोगों को रिहा करवाने की खबर पहुंची। दोपहर तक ऑबराय हॉटल को आंतकवादियों से कमांडो-सेना ने मुक्त करा लिया। यहां से बडी संख्या में लाशें मिली। यहां के दो आंतकवादियों को कमांडो ने मार गिराया।
28 नवंबर, शाम के बाद – नरीमन हाउस की कार्रवाई के बाद ताज हॉटल को आंतकियों की चंगुल से छुडाने की कार्रवाई तेज हो गई। कमांडो और सेना के और जवान पहुंच गये। आधी रात के बाद सेना आधी रात के बाद सेना और कमांडो के नए दस्ते ताज भीतर प्रवेश करना शुरू किया। पूरी रात गोलियां चलती रही। आंतकियो ने ताज में कई जगह आग लगाई। कई लोगो को मौत के घाट उतार दिया। रुक रुक कर गोलियां चलती रही। आंतकवादी हेंड ग्रेनेड का भी इस्तेमाल कर रहा था।
29 नवंबर – रातभर चली गोलीबारी के बाद सुबह कमांडो दस्ते ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी। पूरा ताज हॉटल गूंज उठा। सुबह लगभग सवा नौ बजे एनएसजी के प्रमुख ने ऐलान किया कि तीन आंतकवादी को मार गिराया गया। हॉटल की तलाशी जारी है। फिर ऐलान हुआ कि औपरेशन ब्लैक टॉरनेडो पूरा हुआ। इसी बीच एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के अंतिम संस्कार हुआ। हजारों लोग जुटे थे. पूरे शहर में मातम सा माहौल था। लोग गुस्से से भरे थे।
इस घटना के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया। भाजपा के लोग केंद्र सरकार के खिलाफ बोल रहे थे और इस्तीफे की मांग कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के लोग कह रहे थे कि प्लेन हाईजैक, लाल किले और संसद पर आंतकवादी हमले के बाद क्या आडवाणी ने इस्तीफा दिया था फिर वे लोग इस्तीफे की मांग कैसे कर रहे हैं।
बहरहाल राजनीतिक दांवपेंच से उपर उठकर समस्याओं से निपटने की जरूरत है नहीं तो लोगो का गुस्सा राजनेताओं के खिलाफ कभी भी फूट सकता है चाहे वे किसी भी दल के नेता क्यों न हों? मुंबई हमले ने कई सवाल छोड़ गये हैं जिस पर शासन को विचार करना चाहिये।
Tuesday, 30 September 2008
महिला टीवी पत्रकार की गोली मार कर हत्या
महिला प्रड्यूसर सौम्या विश्वनाथन की गोली मार कर हत्या कर दी गई। दिल्ली के पॉश इलाके वंसत कुंज के पास गोली मारकर हत्या की गई। वह ड्यूटी पूरी होने के बाद देर रात घर लौट रही थीं। हत्यारे ने सौम्या की कार के टायर में गोली मारकर उन्हें रोका। इसके बाद कार का शीशा तोड़ सौम्या को गोली मारी। पहले यह मामला कार दुर्घटना का लग रहा था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सका कि सोम्या दुर्घटना में नहीं मरी बल्कि उसे गोली मारी गई है। २६ वर्षीय सौम्या जेएनयू रेडलाइट से आगे वसंत कुंज इलाके में सुबह के साढे तीन बजे के आसपास अपनी कार में मृत पाई गईं। उनकी कार रोड डिवाइडर से टकराई हुई थी। उनका घर वसंत कुंज में है।
खून में लथपथ सौम्या ड्राइविंग सीट पर आगे की ओर झुकी हुई पड़ी थीं। उनकी मौत मौके पर ही हो चुकी थी। हालांकि उन्हें एम्स लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक गोली उनके सिर के दाएं हिस्से में लगी। कार के एक टायर में भी गोली लगी थी। कार की हालत से साफ था कि रुकने से पहले कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी और काफी दूर तक घिसटती चली गई थी।
हत्या की पुष्टि होते हीं पुलिस टीम ने जांच में तेजी लाते हुए हर संभल कोशिश कर रही है कातिल का जल्द से जल्द पता लगाकर दोषियो को सजा दिलायी जाये। कार के अंदर बाल के गुच्छे भी मिले हैं। सोम्या की कार के एक साइ़ड ब्लू रंग का निशान है। हो सकता है जिस कार ने टक्कर मारी है हत्यारा जिस गाड़ी में सवार था उस गाड़ी का निशान हो। फरेंसिक टीम भी इस काम में जुट गई है। सोम्या के मोबाइल की भी जांच की जा रही है कि सोम्या ने किन किन लोगों से बातचीत की।
खून में लथपथ सौम्या ड्राइविंग सीट पर आगे की ओर झुकी हुई पड़ी थीं। उनकी मौत मौके पर ही हो चुकी थी। हालांकि उन्हें एम्स लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक गोली उनके सिर के दाएं हिस्से में लगी। कार के एक टायर में भी गोली लगी थी। कार की हालत से साफ था कि रुकने से पहले कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी और काफी दूर तक घिसटती चली गई थी।
हत्या की पुष्टि होते हीं पुलिस टीम ने जांच में तेजी लाते हुए हर संभल कोशिश कर रही है कातिल का जल्द से जल्द पता लगाकर दोषियो को सजा दिलायी जाये। कार के अंदर बाल के गुच्छे भी मिले हैं। सोम्या की कार के एक साइ़ड ब्लू रंग का निशान है। हो सकता है जिस कार ने टक्कर मारी है हत्यारा जिस गाड़ी में सवार था उस गाड़ी का निशान हो। फरेंसिक टीम भी इस काम में जुट गई है। सोम्या के मोबाइल की भी जांच की जा रही है कि सोम्या ने किन किन लोगों से बातचीत की।
Wednesday, 17 September 2008
विधायक सुनील पांडे को आजीवन कारावास
बिहार के बाहुबली विधायक सुनील पांडे सहित पांच लोगों को आजीवन कारावास और 50-50 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। ये सजा उन्हें डॉ रमेश चंद्र के अपहरण के मामले में सुनाया गया है। जिला सत्र न्यायाधीश विजय कुमार मिश्रा ने जनता दल यूनाईटेड के निलंबित विधायक सुनील पांडे, ललन शर्मा, अनिल सिंह, मुन्ना सिंह और धीरज कुमार को डॉ रमेश के अपहरण मामले में दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
बिहार में एक समय इतने अपहरण होने लगे थे कि बिहार को अपहरण का उद्योग कहा जाने लगा था। इसमें कई बाहुबली नेता शामिल थे। लेकिन कोई प्रमाण नहीं मिलने के कारण वे बच निकलते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से न्यायपालिका ने काफी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इसी का परिणाम है कि बिहार के कई बाहुबली नेता इन दिनों सलाखो के पीछे हैं। इनमें से कोई हत्या में शामिल है तो कोई अपहरण में। सभी लोग संगीन अपराध में लिप्त पाये गये हैं और जेल में हैं।
मुहम्मद शहाबुद्दीन, राजेश रंजन यादव उर्फ पप्पू यादव, सूरजभान सिंह, आनंद मोहन सिंह, सुनील पांडे, राजन तिवारी ऐसे दर्जनों बाहुबली हैं जो सरेआम पुलिस-प्रशासन को चुनौती देते रहे हैं। ये लोग जब जेल से बाहर थे उस दौर में बिहार अपहरण उद्योग के नाम से जाने जाना लगा था। आज भी अपहरण का सिलसिला जारी है। लेकिन राज्य में जिस प्रकार से पुलिस-प्रशासन- न्यायलय काम कर रही है उसे देख यही लगता है कि अब लोग अपराध करने से जरूर डरेंगे। यहां भी भयमुक्त वातावरण बनेगा। उद्योग धंधे लगेगे। लोगो को रोजगार मिलेगा। यदि अपराध पर लगाम नहीं लगता है तो बिहार का उद्योगिकरण होना बहुत मुश्किल है। बेरोजगारी बनी रहेगी।
बिहार में एक समय इतने अपहरण होने लगे थे कि बिहार को अपहरण का उद्योग कहा जाने लगा था। इसमें कई बाहुबली नेता शामिल थे। लेकिन कोई प्रमाण नहीं मिलने के कारण वे बच निकलते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से न्यायपालिका ने काफी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इसी का परिणाम है कि बिहार के कई बाहुबली नेता इन दिनों सलाखो के पीछे हैं। इनमें से कोई हत्या में शामिल है तो कोई अपहरण में। सभी लोग संगीन अपराध में लिप्त पाये गये हैं और जेल में हैं।
मुहम्मद शहाबुद्दीन, राजेश रंजन यादव उर्फ पप्पू यादव, सूरजभान सिंह, आनंद मोहन सिंह, सुनील पांडे, राजन तिवारी ऐसे दर्जनों बाहुबली हैं जो सरेआम पुलिस-प्रशासन को चुनौती देते रहे हैं। ये लोग जब जेल से बाहर थे उस दौर में बिहार अपहरण उद्योग के नाम से जाने जाना लगा था। आज भी अपहरण का सिलसिला जारी है। लेकिन राज्य में जिस प्रकार से पुलिस-प्रशासन- न्यायलय काम कर रही है उसे देख यही लगता है कि अब लोग अपराध करने से जरूर डरेंगे। यहां भी भयमुक्त वातावरण बनेगा। उद्योग धंधे लगेगे। लोगो को रोजगार मिलेगा। यदि अपराध पर लगाम नहीं लगता है तो बिहार का उद्योगिकरण होना बहुत मुश्किल है। बेरोजगारी बनी रहेगी।
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